joharcg.com अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले सप्ताह परमाणु क्षेत्र में आपसी प्रतिबंधों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक करेंगे। यह बैठक दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और आर्थिक प्रतिबंधों के बीच महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
रिपोर्टों के मुताबिक, ट्रम्प और पुतिन के बीच यह बैठक परमाणु निरस्त्रीकरण, सैन्य सुरक्षा, और अंतरराष्ट्रीय परमाणु व्यापार पर केंद्रित होगी। दोनों नेता इस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिनमें परमाणु हथियारों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए आपसी समझौते और प्रतिबंधों को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा।
बैठक के दौरान, ट्रम्प प्रशासन के प्रतिनिधियों ने कहा कि अमेरिका रूस पर कई प्रतिबंध लगाएगा यदि रूस अपनी परमाणु नीति पर आगे बढ़ने से इंकार करता है। वहीं, रूस ने भी अमेरिका के साथ परमाणु नीति को लेकर कुछ कठिन सवाल उठाए हैं। दोनों देशों के बीच यह वार्ता दोनों के रिश्तों को सुधारने और वैश्विक सुरक्षा पर स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभा सकती है।
विश्लेषकों के मुताबिक, इस बैठक का उद्देश्य न केवल दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करना है, बल्कि यह वैश्विक परमाणु सुरक्षा और संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
यह बैठक इस बात का संकेत भी देती है कि अमेरिका और रूस अपने रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए तैयार हैं, ताकि वे वैश्विक सुरक्षा के प्रति अपने दायित्वों को सही तरीके से निभा सकें।
मॉस्को। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच आगामी सीधी बातचीत के दौरान परमाणु क्षेत्र में दोनों देशों के बीच आपसी प्रतिबंधों के विकल्पों पर चर्चा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन (एसीए) के कार्यकारी निदेशक डेरिल किमबॉल ने ‘आरआईए नोवोस्ती’ को यह जानकारी दी।
श्री किमबॉल ने कहा, आज तक श्री ट्रम्प और उनकी टीम ने रूस के रणनीतिक शस्त्रागार से निपटने के लिए कोई योजना पेश नहीं की है और न ही राष्ट्रपति पुतिन ने। लेकिन संभावना है कि दोनों राष्ट्रपति यूक्रेन में संघर्ष और अन्य मुद्दों के संबंध में सीधी चर्चा में शामिल होंगे।
एसीए प्रमुख ने कहा कि अमेरिका और रूस के बीच परमाणु हथियार नियंत्रण दोनों देशों के लिए एक आवश्यकता है।श्री किमबॉल ने कहा, हालांकि भरोसा अब तक के सबसे निचले स्तर पर हो सकता है, लेकिन यह दोनों पक्षों के लिए अभी या भविष्य में अप्रतिबंधित रणनीतिक परमाणु प्रतिस्पर्धा से बचने का एक बड़ा कारण है।
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