joharcg.com मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस पर छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में तिरंगा रैली का आयोजन किया। इस त्योहार को मनाते हुए जनता ने भावुक रूप से देश के तिरंगे को सलामी दी। यह रैली प्रमुख विभागों से लोगों को एक साथ लाने का उद्देश्य रखती है। आदिवासी समुदाय और उनकी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की आयोजना की जाती है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें अपने देश के असली निवासियों, आदिवासी समुदाय का सम्मान करना चाहिए। उनकी समस्याओं को हल करने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए।” रैली में उपस्थित लोगों ने अपने विभागों की ओर से भाग लेते हुए रंग-बिरंगे कपड़े पहने और ढेर सारे झंडे उठाए। ऐसा दृश्य देखकर स्थानीय लोगों का हौसला बढ़ गया।
इस तिरंगा रैली का आयोजन हर साल किया जाता है और इसका उद्देश्य आदिवासी विरासत को मान्यता और सम्मान दिलाना है। इस तरह की कार्यक्रमों से समाज में सहिष्णुता और समरसता फैलती है। इस तिरंगा रैली में लोग नहीं सिर्फ खुद को बल्कि अपने समुदाय को भी सशक्त करने का संकल्प दिखाते हैं। इसके माध्यम से वे साझा संकल्प दिखाते हैं कि वे अपनी संविदा, संस्कृति और विरासत को समृद्धि और सम्मान पाते हैं।
तिरंगा रैली का आयोजन करने से लोग भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महान पुरोधा महात्मा गांधी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे वीरों को याद करते हैं और देशभक्ति की भावना को मजबूत करते हैं। इस तिरंगा रैली का आयोजन एक संघर्ष का प्रतीक है जो आदिवासी समुदाय की स्थिति में सुधार लाने के लिए हर साल किया जाता है। इस तरह के कार्यक्रम समाज में समृद्धि और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होते हैं।
छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर एक शानदार तिरंगा रैली का आयोजन किया गया, जो आदिवासी समुदाय की संस्कृति और उनकी पहचान को समर्पित थी। इस भव्य रैली ने आदिवासी समुदाय के प्रति सम्मान और एकता का संदेश दिया और पूरे क्षेत्र में उल्लास और गर्व का माहौल पैदा किया।
रैली की शुरुआत सुबह के समय हुई, जब हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग और स्थानीय निवासी तिरंगा झंडे के साथ एकजुट होकर सड़कों पर उतरे। रैली में शामिल लोगों ने अपने पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर, हाथ में तिरंगा लिए हुए देशभक्ति के गीत गाए और आदिवासी संस्कृति के प्रतीक चिन्ह प्रदर्शित किए।
रैली का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर और उनकी ऐतिहासिक भूमिका को मान्यता देना था। इस मौके पर आदिवासी कला, हस्तशिल्प, और परंपराओं का भी प्रदर्शन किया गया, जो रैली के आयोजन को और भी रंगीन और जीवंत बना रहा।
मुख्य अतिथि ने रैली में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए आदिवासी समुदाय के योगदान की सराहना की और उन्हें देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय की विविधता और समृद्ध संस्कृति हमारे देश की ताकत है, और इसे बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
रैली के अंत में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें आदिवासी नृत्य, संगीत, और पारंपरिक नाटकों का प्रदर्शन किया गया। यह कार्यक्रम आदिवासी संस्कृति की गहराई और विविधता को दर्शाने वाला था और दर्शकों ने इसका भरपूर आनंद लिया।
इस भव्य तिरंगा रैली ने एक बार फिर साबित किया कि आदिवासी समुदाय का योगदान और उनका समर्पण हमारे देश की विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रैली ने आदिवासी संस्कृति को सम्मान देने और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए एक मजबूत संदेश दिया।
आयोजकों ने इस आयोजन की सफलता की ओर इशारा करते हुए भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों को और भी बड़े पैमाने पर आयोजित करने का आश्वासन दिया, ताकि आदिवासी समुदाय की आवाज और उनकी संस्कृति को पूरे देश में पहचान मिल सके।