joharcg.com विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि हर युग में परिवर्तन और समाज के निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षक न केवल विद्यार्थियों का भविष्य संवारते हैं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

डॉ. रमन सिंह ने अपने भाषण में कहा, “हर युग में परिवर्तन का रास्ता शिक्षक ही दिखाते हैं। वे छात्रों को न केवल शिक्षा देते हैं, बल्कि उन्हें समाज का जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित भी करते हैं। शिक्षक ही वह आधार हैं जिन पर समाज और देश की प्रगति टिकी होती है।”

उन्होंने आगे कहा कि शिक्षकों का कार्य केवल किताबी ज्ञान देना नहीं है, बल्कि वे छात्रों को जीवन की कठिनाइयों से निपटने और उनके व्यक्तित्व विकास में भी मदद करते हैं। शिक्षक समाज की रीढ़ की हड्डी होते हैं और उनके मार्गदर्शन के बिना समाज में सकारात्मक बदलाव संभव नहीं होता।

डॉ. रमन सिंह ने यह भी कहा कि शिक्षकों की भूमिका समय के साथ और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है। वर्तमान समय में शिक्षा के साथ-साथ नैतिक और सामाजिक मूल्यों का संचार करना भी आवश्यक है, जिसे शिक्षक बेहतर ढंग से कर सकते हैं।

भारत के प्रथम उप राष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस ‘शिक्षक दिवस‘ के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर ऑडिटोरियम राजनांदगांव में आयोजित मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण समारोह में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद श्री संतोष पाण्डे द्वारा किया गया। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि 5 सितम्बर का विशेष दिन शिक्षक दिवस के रूप में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में मनाया जाता है। जिन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली को दिशा दी थी।

उनकी इसी सोच और कल्पना के साथ उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। शिक्षा का दीपक अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है और हर युग के निर्माण में परिवर्तन के लिए हम जिन्हें आराध्य मानते हैं, शिक्षक मार्गदर्शन देते हैं। भगवान श्रीराम को गुरू वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा-दीक्षा मिली, भगवान श्री कृष्ण ने विश्व को गीता का ज्ञान दिया। उन्हें भी ऋषि संदीपनी के आश्रम में शिक्षा मिली। शिक्षक युग को बदलने वाले होते हैं। चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को शिक्षा देकर हिन्दुस्तान का नक्शा बदल दिया।

गुरू द्रोणाचार्य ने अर्जुन को ऐसी शिक्षा दी, जो हिन्दुस्तान की अद्भुत घटना मानी जाती है। स्वामी विवेकानंद के गुरू श्री रामकृष्ण परमहंस ने उनके जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में देखे तो पंडित रविशंकर शुक्ल ने शिक्षक रहते अपनी अमूल्य सेवाएं दी। राजनांदगांव में गुरू की गौरवशाली परंपरा रही है। देश और दुनिया में इसकी कीर्ति-पताका फैली हुई है। जिले के महान साहित्यकार डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, डॉ. गजानन माधव मुक्तिबोध, डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र दिग्विजय महाविद्यालय में गवाह रहे हैं

तथा श्रेष्ठतम साहित्यकार के रूप में आगे बढ़े हैं। न जाने कितने ऐसे उदाहरण है, जिन्होंने देश में युग के परिवर्तन के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई तथा दुनिया में शिक्षा एवं ज्ञान के लिए एक संदेश दिया है। शिक्षकों को हमेशा सम्मान मिलता है। पहले गुरू के रूप में माता पहली शिक्षक होती है और संस्कार की पहली पाठशाला घर से प्रारंभ होती है। माता ने हम सभी को यहां तक पहुंचाया है और गुरूओं की हम पर कृपा रही है।

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