joharcg.com आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय ने हाल ही में एक भव्य स्वर्णप्राशन समारोह का आयोजन किया, जिसमें 2046 बच्चों ने भाग लिया। यह विशेष कार्यक्रम आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से बच्चों के स्वास्थ्य और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। स्वर्णप्राशन एक प्राचीन आयुर्वेदिक परंपरा है, जिसमें विशेष जड़ी-बूटियों और स्वर्ण का सेवन कराना होता है, जो बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होता है।
इम्युनिटी बढ़ाने 560 बच्चों को बाल रक्षा किट भी दिया गया
इस समारोह में न केवल बच्चों का स्वर्णप्राशन किया गया, बल्कि उनके माता-पिता और परिवार के सदस्यों को भी इस प्रक्रिया के लाभों के बारे में जागरूक किया गया। चिकित्सालय के विशेषज्ञों ने बताया कि स्वर्णप्राशन से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और यह उन्हें अधिक सक्रिय और उत्साही बनाता है।
समारोह के दौरान, बच्चों को विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में जानकारी दी गई और उन्हें यह बताया गया कि कैसे ये औषधियाँ उनके सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा, आयोजन के दौरान बच्चों के लिए खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं, जिससे समारोह को और भी आनंदमय बनाया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं था, बल्कि बच्चों और उनके परिवारों के बीच एक मजबूत स्वास्थ्य जागरूकता का निर्माण करना भी था। कार्यक्रम के अंत में, सभी बच्चों को स्वर्णप्राशन के प्रमाण पत्र दिए गए, जो उनके इस महत्वपूर्ण दिन की यादगार बन गए।
शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय परिसर में आयुष विभाग की संचालक सुश्री इफ्फत आरा, प्राचार्य प्रो. डॉ. जी.आर. चतुर्वेदी, चिकित्सालय अधीक्षक प्रो. डॉ. प्रवीण कुमार जोशी और कौमारभृत्य विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. नीरज अग्रवाल के निर्देशन में स्वर्णप्राशन कराया गया। स्वर्णप्राशन समन्वयक डॉ. लवकेश चन्द्रवंशी ने बताया कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यह काफी लाभदायक है।
महाविद्यालय के कौमारभृत्य विभाग की व्याख्याता डॉ. सत्यवती राठिया तथा स्नातकोत्तर एवं स्नातक छात्र-छात्राएं हर महीने स्वर्णप्राशन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय द्वारा इस वर्ष की अन्य पुष्य नक्षत्र तिथियों 25 जनवरी को 1235, 21 फरवरी को 1420, 18 मार्च को 1720, 16 अप्रैल को 1410, 13 मई को 1256, 10 जून को 1802, 8 जुलाई को 1342, 3 अगस्त को 1370 और 30 अगस्त को 1660 बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया गया था।
स्वर्णप्राशन समारोह ने सभी उपस्थित लोगों को यह याद दिलाया कि स्वास्थ्य और भलाई के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा का महत्व कितना अधिक है। इस प्रकार के आयोजनों से समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकेगा।
इस प्रकार, आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय का यह प्रयास न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को संवारने में सहायक होगा, बल्कि आने वाले समय में और भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की प्रेरणा भी देगा।