joharcg.com राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ने अपनी बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले किए हैं, जिनका असर छात्रों और शिक्षकों पर सीधा पड़ेगा। इन फैसलों में सबसे अहम शिक्षकों के लिए नई ट्रांसफर नीति का ऐलान किया गया है, जिसे जल्द ही लागू किया जाएगा। इस नीति के तहत शिक्षकों के लिए ट्रांसफर प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की योजना है।
नई नीति में शिक्षकों को उनके कार्यक्षेत्र में बेहतर अवसर प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष प्रोत्साहन दिए जाएंगे। इसके तहत, शिक्षक अब अधिक समय तक अपनी कार्यस्थली पर बने रहने के बजाय अपनी स्थिति को बदलने के लिए सरल प्रक्रियाओं का पालन कर सकेंगे। शिक्षा विभाग ने यह कदम शिक्षकों के मनोबल को बढ़ाने और उनकी कार्य दक्षता में सुधार लाने के लिए उठाया है।
इसके अलावा, बैठक में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर भी चर्चा की गई। विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि राज्यभर में सभी सरकारी स्कूलों में आवश्यक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों। इसके तहत नए पाठ्यक्रम, स्मार्ट क्लासरूम, और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
इस बैठक में शिक्षा के ढांचे को बेहतर बनाने के लिए और भी कई अहम निर्णय लिए गए, जिनसे राज्य के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलने की उम्मीद है। यह निर्णय राज्यभर में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए एक ठोस कदम साबित हो सकते हैं।
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 30 जनवरी को मंत्रालय में स्कूल शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय बैठक ली, जिसमें प्रदेश के शिक्षा तंत्र में व्यापक सुधार के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इस बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, डीपीआई दिव्या मिश्रा समेत स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा सुधार को युद्ध स्तर पर लागू करने के निर्देश देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के परिणामों में सुधार और मानव संसाधन को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
बैठक में शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए नई नीति लागू करने का निर्णय लिया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने के बाद ही शिक्षकों को शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा। अब शिक्षक एचआरएमआईएस पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करेंगे। नेताओं या मंत्रियों के जरिए ट्रांसफर की सिफारिश पर कार्रवाई होगी।स्थानांतरण आवेदनों पर विचार करने के लिए समिति हर तीन महीने में बैठक करेगी।
85 एकलव्य विद्यालय होंगे मर्ज
आदिम जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास विभाग द्वारा संचालित 85 एकलव्य स्कूलों को स्कूल शिक्षा विभाग में शामिल करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए भारत सरकार से पत्राचार किया जाएगा।
30% से कम रिजल्ट वाले स्कूलों पर होगी सख्ती
शिक्षकों और अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। जिन सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम 30% से कम रहेगा, वहां के संस्था प्रमुखों, शिक्षकों एवं शिक्षा अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। बेहतरीन परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा।
शराबी और अनुशासनहीन शिक्षकों को रिटायरमेंट
शराब पीकर स्कूल आने वाले शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई होगी। अनुशासनहीनता व लंबे समय तक गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी।
ऐतिहासिक पुराने स्कूलों को रखा जाएगा, लेकिन नए स्कूलों को जरूरत के हिसाब से मर्ज किया जाएगा।
अब बालक-बालिका स्कूल नहीं होंगे अलग सभी सरकारी स्कूलों को को-एड बनाया जाएगा। अलग से बालिका विद्यालय खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
अन्य महत्वपूर्ण फैसले:
शिक्षा के क्षेत्र में अन्य राज्यों के सफल मॉडल का अध्ययन कर उसे लागू किया जाएगा। शिक्षा के पिछड़े इलाकों में विशेष ध्यान दिया जाएगा। डीएवी स्कूलों के संचालन को लेकर राज्य स्तरीय बैठक होगी। स्कूल यूनिफॉर्म की गुणवत्ता बढ़ाने और रंग परिवर्तन पर विचार किया जाएगा। अनुसूचित क्षेत्रों में 20 स्थानीय बोलियों की किताबें तैयार कर पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षादूत नियुक्त किए जाएंगे।
स्कूलों में सीएसआर के तहत सहयोग के लिए दानदाताओं को प्रोत्साहित किया जाएगा। छात्राओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी, और छात्रावासों की नियमित निगरानी होगी। शिक्षकों के प्रशिक्षण की नई नीति बनाई जाएगी, और छात्रों के लिए डिजिटल लर्निंग वीडियो तैयार किए जाएंगे।
अगले 4 वर्षों के लिए तैयार होगा शिक्षा का रोडमैप
आगामी चार वर्षों में छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी और उसे मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इस बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों से प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।