joharcg.com राजस्व मंत्री ने सर्वेयर की भूमिका निभाते हुए एक अनोखा कदम उठाया है। उन्होंने खुद मोबाइल फोन में जियो-रिफ्रेंसिंग तकनीक का उपयोग करते हुए खसरा का सत्यापन किया। इस पहल से यह संदेश जाता है कि राजस्व विभाग में डिजिटल तकनीक का उपयोग किस प्रकार से किया जा सकता है और इससे होने वाले फायदों को उजागर किया जा सकता है।

राजस्व मंत्री ने अपने दौरे के दौरान जमीनों के खसरों की स्थिति को जांचने के लिए जियो-रिफ्रेंसिंग का सहारा लिया। यह तकनीक जीपीएस और अन्य डिजिटल उपकरणों की मदद से जमीन की सही स्थिति और उसके रिकॉर्ड की पुष्टि करने में सहायता करती है। इससे भूमि संबंधित विवादों का निपटारा तेज और सटीक हो सकता है।

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मंत्री ने बताया कि जियो-रिफ्रेंसिंग तकनीक के जरिए खसरा सत्यापन करने से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि यह प्रक्रिया अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी भी होती है। उन्होंने कहा, “डिजिटल तकनीक का उपयोग हमें पारंपरिक तरीकों से कहीं अधिक सटीक और तीव्र परिणाम प्रदान करता है। यह तकनीक हमें भूमि विवादों के समाधान में भी काफी मदद कर सकती है।”


    इस पहल से किसानों और आम जनता को भी बड़ी राहत मिलेगी। भूमि के दस्तावेजों का डिजिटल रूप में होना और उनकी सही स्थिति की जानकारी होना, किसानों को उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद करेगा। साथ ही, भूमि संबंधित जानकारी के डिजिटल रिकॉर्ड से सरकारी कार्यों में भी पारदर्शिता आएगी।

राजस्व मंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले समय में इस तकनीक को और व्यापक रूप से लागू किया जाएगा। इससे राजस्व विभाग के कामकाज में और अधिक सुधार होगा और जनता को भी इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को इस तकनीक का उपयोग करने और इसके फायदों को समझने के लिए प्रेरित किया।

इस पहल के माध्यम से राजस्व मंत्री ने यह साबित कर दिया है कि आधुनिक तकनीक का सही उपयोग सरकारी कामकाज को अधिक प्रभावी और जनोपयोगी बना सकता है। जियो-रिफ्रेंसिंग जैसी तकनीकें भविष्य में सरकारी विभागों के कामकाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

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