मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

joharcg.com मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम् द्वारा 27 अगस्त से संस्कृत सप्ताह आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत भाषा का प्रभाव भारतीय भाषाओं में ही नहीं अपितु अन्य भाषाओं में भी परिलक्षित होता है। भारतीय विरासत को सहेजकर एवं संयोजकर रखने में संस्कृत भाषा का विशेष योगदान है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने संस्कृत सप्ताह के दौरान संस्कृत विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में संस्कृत पर केन्द्रित कार्यक्रमों के सफल आयोजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को संस्कृत सप्ताह की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। संस्कृत भाषा को भारतीय संस्कृति और ज्ञान का आधार बताते हुए उन्होंने इसके संरक्षण और प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा में हमारे देश की प्राचीन धरोहर, वेद, उपनिषद, और शास्त्र निहित हैं, जो हमारी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हैं। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि संस्कृत भाषा केवल धार्मिक ग्रंथों की भाषा ही नहीं है, बल्कि यह विज्ञान, गणित, चिकित्सा, और अन्य कई क्षेत्रों में भी समृद्ध है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे इस भाषा को सीखने और समझने का प्रयास करें, ताकि हमारी पुरानी संस्कृति और परंपराओं का ज्ञान आगे बढ़ सके।

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि राज्य के विद्यालयों में संस्कृत शिक्षा को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया गया है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस प्राचीन भाषा से परिचित हो सकें। इसके अलावा, संस्कृत के विद्वानों और शिक्षकों को विशेष सम्मान और पुरस्कार देने की योजना भी शुरू की गई है।

संस्कृत सप्ताह के अवसर पर राज्य भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। शैक्षिक संस्थानों में संस्कृत भाषा से संबंधित प्रतियोगिताओं, निबंध लेखन, वाद-विवाद, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने सभी को इन कार्यक्रमों में भाग लेने और संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील की।

मुख्यमंत्री द्वारा दी गई संस्कृत सप्ताह की शुभकामनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए गंभीर है। यह सप्ताह हमें हमारी संस्कृति और ज्ञान के स्रोतों को याद दिलाने का अवसर है, और हमें इसे पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाना चाहिए।

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