छत्तीसगढ़ परब

joharcg.com आदिवासी संस्कृति की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। उनकी बोली भाषा, संस्कृति, परम्परा से, रीति रिवाजों से जाना जाता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस पर 9 अगस्त 2022 से शासकीय अवकाश का लाभ देकर उनकी बरसों की मांग पूरी कर दी है। ताकि अपने रीति रिवाजों और त्योहार को हर्षाेल्लास के साथ मना सकें छत्तीसगढ़ शासन उनके विकास के लिए अनेकों काम कर रही है। आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी सांस्कृतिक का परिक्षण एवं विकास योजनान्तर्गत आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आदिवासियों के पूजा एवं श्रद्धा स्थलों पर देवगुड़ी के निर्माण मरम्मत योजना संचालित है।

चार वर्षों में 2763 देवगुड़ी के लिए राशि 5185.83 लाख रुपए स्वीकृत

आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने देवगुड़ी की राशि एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख तक

विगत साढ़े चार वर्षों में देवगुड़ी ठाकुरदेव एवं सांस्कृतिक केंद्र घोटुल निर्माण, मरम्मत योजना अंतर्गत प्रदाय की जाने वाली राशि में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि की गई है। प्रति देवगुड़ी की राशि 1 लाख  रूपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए प्रति देवगुड़ी कर दिया गया। योजना के स्वरूप राशि में 5 गुना वृद्धि हुई है। इसके साथ ही अबुझमाड़िया जनजाति समुदायों में प्रचलित घोटुल प्रथा को संरक्षित रखने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन ने विगत चार वर्षों में 2763 देवगुड़ी के लिए राशि 5185.83 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई है। साथ ही अबुझमाड़िया संस्कृति के विकास और उत्थान के लिए बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में 104 घोटुल निर्माण के लिए राशि 470.00 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई है।

आदिवासी के त्योहारों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना अंतर्गत आदिवासियों में तीज,सरना,देवगुड़ी,नवाखाई,छेरछेरा, अक्ती,हरेली त्यौहारों, उत्सवों मेला,मड़ई जात्रा आदि पर्व की परम्परागत संस्कृति का विकास और उनके आगामी पीढ़ी को हस्तांतरण करने के लिए योजना की शुरुआत की गई है। अनुसूचित क्षेत्र की प्रत्येक ग्राम पंचायत को राशि उपलब्ध कराई जा रही है।

मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत को राशि 10 हजार रुपए दिए जाने का प्रावधान है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना के क्रियान्वयन के लिए राशि 5 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। वर्ष 2023-24 में वित्तीय नियमानुसार प्रथम किस्त की राशि 5 हजार के मान से 5633 ग्राम पंचायतों को डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खाते में राशि 281.85 लाख हस्तांतरित की गई।

छत्तीसगढ़ में सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और प्रोत्साहित करने के लिए ‘छत्तीसगढ़ परब’ को विशेष बढ़ावा दिया जा रहा है। यह कदम राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और स्थानीय उत्सवों को संरक्षित और प्रसारित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

‘छत्तीसगढ़ परब’ एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है, जो छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और परंपराओं को सम्मानित करता है। यह उत्सव राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में मनाए जाते हैं और इसमें स्थानीय संगीत, नृत्य, और पारंपरिक खेल शामिल होते हैं।

  1. सांस्कृतिक संरक्षण: ‘छत्तीसगढ़ परब’ का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और उसे नई पीढ़ी तक पहुँचाना है। इसके माध्यम से स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों को जीवित रखा जा सकता है।
  2. स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन: इस उत्सव के दौरान स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को मंच प्रदान किया जाता है, जिससे उन्हें अपनी कला और हुनर को दर्शाने का मौका मिलता है। इससे स्थानीय कला और शिल्प को बढ़ावा मिलता है और आर्थिक सशक्तिकरण में मदद मिलती है।
  3. समुदाय में एकता: ‘छत्तीसगढ़ परब’ स्थानीय समुदायों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देता है। यह उत्सव लोगों को एक साथ लाने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने का एक मंच प्रदान करता है।

राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने ‘छत्तीसगढ़ परब’ को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं:

  1. आयोजन और समर्थन: विभिन्न गांवों और शहरों में ‘छत्तीसगढ़ परब’ के आयोजन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा वित्तीय और प्रशासनिक समर्थन प्रदान किया जा रहा है।
  2. प्रचार और जागरूकता: इस उत्सव के महत्व को समझाने और इसे लोकप्रिय बनाने के लिए प्रचार अभियानों का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत, मीडिया, सोशल मीडिया, और सामुदायिक कार्यक्रमों का सहारा लिया जा रहा है।
  3. सांस्कृतिक कार्यशालाएँ: स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों के लिए कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इससे उनकी कला में निखार आता है और वे अपनी कला को और बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं।

‘छत्तीसगढ़ परब’ को बढ़ावा दिए जाने पर स्थानीय समुदाय और कलाकारों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस पहल को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने और स्थानीय कलाकारों को समर्थन देने के रूप में सराहा है।

इस उत्सव के माध्यम से छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने और उसे प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है, जो न केवल राज्य की पहचान को मजबूत करेगा बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी सिद्ध होगा। Bhupesh Baghel Archives – JoharCG