प्राचीनकाल से भारत

joharcg.com भारत देश में शिक्षा की नींव प्राचीनकाल से ही मजबूत रही है और इसका प्रमाण हमें गुरुकुल की परंपरा में मिलता है। राज्यपाल ने हाल ही में एक समारोह में इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि गुरुकुल भारतीय संस्कृति और शिक्षा का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह परंपरा न केवल शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई है, बल्कि समाज को संस्कारित करने में भी अहम भूमिका निभाई है।

राज्यपाल ने अपने संबोधन में बताया कि प्राचीन काल में गुरुकुल वह स्थान था, जहां छात्रों को न केवल शास्त्र, वेद, उपनिषद और अन्य धार्मिक ग्रंथों की शिक्षा दी जाती थी, बल्कि उन्हें जीवन के सही मूल्य भी सिखाए जाते थे। यह परंपरा हमारे समाज के शैक्षिक, सांस्कृतिक और नैतिक विकास में अहम योगदान देती रही है।

उन्होंने कहा, “गुरुकुल की परंपरा में शिक्षक और छात्र के बीच गहरा संबंध होता था, जो ज्ञान के साथ-साथ सद्गुणों की शिक्षा भी देता था। इस परंपरा को हमें पुनः अपनाने की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी नैतिक और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बन सकें।”

राज्यपाल ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में आधुनिक शिक्षा पद्धतियाँ जरूर महत्वपूर्ण हैं, लेकिन गुरुकुल की परंपराओं में जो गहरे संबंध और अनुशासन का संदेश है, वह हमें आज भी प्रेरित करता है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने छात्रों को प्रेरित किया कि वे अपनी शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों और नैतिक मूल्यों को भी अपनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा केवल नौकरी प्राप्त करने के लिए नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह जीवन को बेहतर बनाने का माध्यम होनी चाहिए।

समारोह के दौरान राज्यपाल ने शिक्षा के महत्व को भी समझाया और गुरुकुल की पुरानी परंपराओं को सम्मानित करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपनी शिक्षा को आत्मसात करें और इसे समाज की भलाई में लगाएं।

राज्यपाल के इस संदेश ने उपस्थित छात्रों और शिक्षकों को प्रेरित किया और सभी ने इसे अपनी जीवन की दिशा में लागू करने का संकल्प लिया।

दुर्ग। राज्यपाल रमेन डेका ने आज सूर्या विहार भिलाई में श्री स्वामी नारायण  गुरुकुल विद्यालय भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विधायक रिकेश सेन, स्वामी महंत सुफलक दास, मनीष गुप्ता विशेष रूप से उपस्थित थे।

समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि गुरूकुल भवन केवल एक भौतिक संरचना का अनावरण नहीं है बल्कि यह शिक्षा, संस्कृति और नैतिकता के प्रकाश स्तंभ की स्थापना है। राज्यपाल ने कहा कि स्वामीनारायण गुरूकुल गत 75 वर्षों से शिक्षा और संस्कार के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। भारत के 60 से अधिक गुरूकुलों के माध्यम से 40 हजार से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षित करना और उन्हंे नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना, दोनों एक असाधारण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह गुरूकुल परंपरा जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने आरंभ किया था, आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।

राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि प्राचीनकाल से ही हमारे देश में गुरूकुल की गौरवशाली परंपरा रही है। गुरूकुल के संस्थापक संतो और आचार्याे का दृष्टिकोण था कि शिक्षा केवल जानकारी देने का माध्यम नहीं है बल्कि यह मानव जीवन को संपूर्णता प्रदान करने का मार्ग है।

उनका यह दृष्टिकोण आज के समय में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा न केवल व्यक्तिगत विकास का साधन है बल्कि यह समाज और राष्ट्र के निर्माण का भी आधार है। मुझे यह देख कर प्रसन्नता हो रहा है कि स्वामी नारायण गुरूकुल इस विचारधारा के साथ विद्यार्थियों को शिक्षित कर रहा है।

राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि आधुनिक युग में नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है। ऐसे समय में स्वामी नारायण गुरूकुल जैसा संस्थान, समाज में नैतिक संस्कारो को फिर से जीवित करने का कार्य कर रहा है। यहां विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता है बल्कि उन्हें जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। ज्ञान, आध्यात्मिकता और नैतिकता का समन्वय किसी भी व्यक्ति को समाज का आदर्श नागरिक बनाते हैं।

राज्यापाल श्री डेका ने गुरूकुल परिवार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भिलाई में इसकी स्थापना की और यहां के विद्यार्थियों के भविष्य को नई दिशा देने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने यहां अध्ययनरत् विद्यार्थियों से कहा कि वे यहां दी जाने वाली शिक्षा और संस्कारों का पूरी लगन से पालन करें और इसे अपने जीवन का आधार बनाएं। आज इस विद्यालय भवन का उद्घाटन, विद्यार्थियों के लिए नई उम्मीदों और सपनों का आरंभ है।

यहां से निकलने वाले विद्यार्थी न केवल अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ बनेंगे बल्कि समाज में नैतिकता और सदाचार का प्रचार भी करेंगे, ऐसी हम सबकी आकांक्षा है। राज्यपाल श्री डेका ने सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों और गुरूजनों को विद्यालय भवन के लिए शुभकामनाएं दी। गुरूकुल के संचालक श्री रघुनाथ ने कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर गुरूकुल के आचार्यगण, विद्यार्थी और उनके अभिभावक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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