पंडित राजेंद्र गंगानी की कथक प्रस्तुति ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
joharcg.com रायगढ़ में आयोजित हो रहे चक्रधर समारोह के मंच पर दिल्ली से पधारे देश के प्रख्यात कथक नर्तक पंडित राजेंद्र गंगानी ने अपनी मोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया। समारोह के 40वें संस्करण की शुरुआत उनके प्रस्तुति से हुई।
जयपुर घराने के वरिष्ठ कलाकार पंडित गंगानी ने अपनी अद्भुत नृत्य शैली में पारंपरिक कथक की झलक प्रस्तुत की। महज चार वर्ष की आयु से उन्होंने नृत्य साधना प्रारंभ की थी। वर्ष 2003 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया, साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उन्हें अनेक पुरस्कार और अलंकरण प्राप्त हुए हैं। उनकी कला में परंपरा और आधुनिकता का अद्वितीय संगम देखने को मिला, जिसने श्रोताओं और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जब प्रख्यात कथक नृत्यांगन पंडित राजेंद्र गंगानी ने अपनी अद्भुत प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ताल, लय और भाव से सजी उनकी कथक प्रस्तुति ने न केवल कला प्रेमियों का दिल जीता बल्कि शास्त्रीय नृत्य की गहराई और परंपरा से भी लोगों को रूबरू कराया।
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान गणेश की वंदना से हुई। इसके बाद पंडित गंगानी ने पारंपरिक कथक की विविध गतियों, परन, तिहाइयों और तत्कार की ऐसी प्रस्तुति दी कि सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उनकी प्रत्येक अदाकारी में कथक की शुद्धता और वर्षों का साधना भाव साफ झलक रहा था।
प्रस्तुति के दौरान जब उन्होंने भाव नृत्य के माध्यम से कृष्ण-राधा की लीलाओं को जीवंत किया, तो दर्शक भाव-विभोर हो उठे। उनकी मुख-मुद्राएँ और हाथों की गति इतनी सजीव थीं कि मानो कथा स्वयं मंच पर घटित हो रही हो। संगीत के सुर और तबले की थाप के साथ उनका नृत्य एक अद्भुत संगम बना, जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
पंडित गंगानी ने कहा कि कथक केवल नृत्य नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक साधन है। यह परंपरा हमें हमारी संस्कृति, हमारी जड़ों और हमारी आध्यात्मिकता से जोड़ती है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे शास्त्रीय कलाओं को सीखने और संजोने में रुचि लें, ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचती रहे।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कला प्रेमी, विद्यार्थी और सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कई युवाओं ने कार्यक्रम के बाद पंडित गंगानी से बातचीत की और कथक सीखने की प्रेरणा ली।