joharcg.com रायपुर: सूचना का अधिकार (RTI) एक ऐसा कानून है जो भारत में नागरिकों को सरकार से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। हालांकि, अगर कोई सरकारी अधिकारी इस अधिकार का उल्लंघन करता है और जानकारी उपलब्ध नहीं कराता है, तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें एक पंचायत सचिव को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी न देने पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
यह मामला छत्तीसगढ़ के एक गांव का है, जहां एक स्थानीय निवासी ने सूचना के अधिकार के तहत अपने पंचायत से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और जानकारियाँ मांगी थीं। लेकिन, पंचायत सचिव ने समय पर जानकारी उपलब्ध नहीं कराई और बार-बार टालमटोल करते रहे। RTI कानून के अनुसार, किसी भी सरकारी विभाग या पंचायत को 30 दिनों के भीतर मांगी गई जानकारी उपलब्ध करानी होती है। जब तय समयसीमा बीत गई और आवेदक को कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने सूचना आयोग में शिकायत दर्ज कर दी।
इस मामले में सूचना आयोग ने गहराई से जांच की और पाया कि पंचायत सचिव ने जानबूझकर जानकारी देने में देरी की। इसके चलते आयोग ने पंचायत सचिव पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना इस बात का प्रमाण है कि सूचना का अधिकार कानून को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसकी अनदेखी करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाएगा।
RTI कानून का उद्देश्य सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। इस मामले में पंचायत सचिव की लापरवाही ने न केवल कानूनी नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि नागरिकों के अधिकारों को भी चोट पहुंचाई। RTI के तहत जानकारी न देना न केवल एक कानूनन अपराध है, बल्कि इससे सरकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है।
25,000 रुपये का जुर्माना पंचायत सचिव के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। यह घटना अन्य सरकारी अधिकारियों के लिए भी एक सबक है कि वे सूचना के अधिकार को गंभीरता से लें और इसे सम्मानपूर्वक लागू करें। इसके साथ ही, इस तरह की सख्ती से नागरिकों को भी यह विश्वास मिलता है कि वे अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं और सरकार से आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
यह घटना आम नागरिकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है कि अगर कोई सरकारी अधिकारी उन्हें जानकारी देने से इंकार करता है या प्रक्रिया में देरी करता है, तो वे सूचना आयोग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह कानून सभी नागरिकों को सशक्त बनाता है और उन्हें सरकार से जवाबदेही मांगने का अधिकार देता है।
सूचना के अधिकार के तहत जानकारी न देना पंचायत सचिव को भारी पड़ गया। 25 हजार रुपये का जुर्माना इस बात का प्रमाण है कि RTI कानून का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह घटना सरकार के सभी स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करती है और यह सुनिश्चित करती है कि नागरिक अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं।
जांजगीर। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी नहीं देना नरियरा के तत्कालीन पंचायत सचिव को महंगा पड़ गया। मामले में छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने पंचायत सचिव पर 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। नरियरा में निवासरत मुकेश कुमार कैवर्त ने ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य और अन्य जानकारी के संबंध में ग्राम पंचायत के जन सूचना अधिकारी तत्कालीन पंचायत सचिव माखन सिंह जोगी को 28 जनवरी 21 को आवेदन पेश किया।
सचिव ने आवेदक को सूचना के अधिकार के संबंध में जानकारी नहीं दी। इस पर आवेदक मुकेश कुमार कैवर्त ने छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में अपील की। आयोग के आदेश पर सचिव माखन ने 13 माह के बाद आवेदक को जानकारी भेजने कहा कि चाही गई जानकारी ग्राम पंचायत नरियरा में नहीं है। सूचना के अधिकार के नियम के अनुसार आवेदक को 30 दिनों के अंदर जानकारी उपलब्ध करानी थी।
इस पर आवेदक मुकेश ने पुनः छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में अपील की। मामले में छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयुक्त ने ग्राम नरियरा के तत्कालीन पंचायत सचिव जन सूचना अधिकारी माखन सिंह जोगी को 16 मार्च 2022, 23 अगस्त 2022, 25 अगस्त 2023 और 3 जुलाई 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जवाब पेश करने को कहा।
पंचायत सचिव ने छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग को कोई जानकारी प्रस्तुत नहीं की। इस पर राज्य सूचना आयुक्त ने नरियरा के तत्कालीन पंचायत सचिव माखन सिंह जोगी पर 25 हजार रुपए अर्थदंड लगाया है। जनपद पंचायत अकलतरा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पंचायत सचिव से अर्थदंड तत्काल वसूल करते कर निर्धारित कोष में जमा कराने का आदेश दिया है।