joharcg.com छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री साय ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है कि इस साल नुआखाई के दिन राज्य में अवकाश रहेगा। यह निर्णय उन लाखों लोगों के लिए खुशी का कारण है जो इस पारंपरिक पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। नुआखाई, जो कि खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है, एक प्रमुख फसल उत्सव है जिसमें नए धान की फसल की पूजा की जाती है और परिवार-समाज के साथ मिलकर आनंद मनाया जाता है।

मुख्यमंत्री साय ने इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि इस खास दिन को हर कोई अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशी के पल बिताकर मनाए। यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है और हमें इसे मनाने का पूरा हक है।” उन्होंने इस अवसर पर सभी नागरिकों को नुआखाई की शुभकामनाएं दी और कहा कि सरकार इस पर्व को सम्मान देने के लिए समर्पित है।

नुआखाई का पर्व छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान में गहराई से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार खासकर धान की फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है, और इसे लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में खास उत्साह होता है। इस दिन लोग नए धान की फसल से बने पकवानों का स्वाद लेते हैं और देवी-देवताओं की पूजा कर समृद्धि की कामना करते हैं।

इस ऐतिहासिक निर्णय से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में खुशी की लहर है, बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी लोग उत्सुकता से इस दिन का इंतजार कर रहे हैं। इस अवकाश के साथ, लोग अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और संस्कृति को एक बार फिर से जीवंत करेंगे।

मुख्यमंत्री साय की इस घोषणा से यह भी साफ होता है कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को मान्यता देने और उसे प्रोत्साहित करने के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। नुआखाई का यह पर्व राज्य भर में एक साथ मनाया जाएगा, और इसके माध्यम से सांस्कृतिक एकता और सामाजिक समरसता को भी बल मिलेगा।

आइए, इस नुआखाई पर सभी मिलकर खुशी मनाएं और इस खास दिन की समृद्धि की कामना करें।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस साल भी नुआखाई पर अवकाश की घोषणा की है। नुआखाई एक प्रमुख पर्व है जो छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदायों के लोक कलाओं और संस्कृति को मान्यता देता है।

नुआखाई का त्योहार ओडिशा और झारखंड के साथ चंडीगढ़, महाराष्ट्र, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है। इस दिन लोग पानी पीने से पहले नवनिकचार करते हैं जो एक पानी का प्याला है जिसे अर्घ्य माना जाता है।

बघेल ने सीजी के सभी अधिकारियों को नुआखाई पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया है। उन्होंने उन लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए कहा है कि इस त्योहार को आत्मीयता और उत्साह के साथ मनाना चाहिए।

नुआखाई का त्योहार बंदरिया संस्कृति के अनुसार मनाया जाता है और इसमें अनेक प्रकार के परंपरागत खेती से जुड़े रस्मों का पालन किया जाता है। यह पर्व भूमि-पूजन के रूप में मान्यता प्राप्त करता है।

सीजी में नुआखाई के दिन अवकाश होने से लोग उत्सव के महत्व को समझते हैं और इसे समृद्धि और समाजिक एकता का प्रतीक मानते हैं। साथ ही इस दिन किसान अपनी प्रतिजन और समुदाय के साथ खुशियों मनाते हैं और एक-दूसरे को खुशियों की कामना करते हैं। इसलिए, बघेल की इस घोषणा से सीजी के लोग बहुत खुश हैं और वे इस त्योहार को धूमधाम से मनाने की तैयारी में हैं। इस साल के नुआखाई का त्योहार बहुत ही उत्साहित करने वाला और अद्वितीय होने वाला है।

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