joharcg.com 21 सितंबर को देशभर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा, जो न्याय व्यवस्था को और अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस अवसर पर नागरिकों को विभिन्न कानूनी मामलों में त्वरित और सुलभ न्याय प्रदान किया जाएगा। यह अदालत विशेष रूप से समझौतों और मुआवजा मामलों को निपटाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
राष्ट्रीय लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या को कम करना और लोगों को सस्ती तथा त्वरित न्याय सेवाएं प्रदान करना है। इस अदालत में सिविल, आपराधिक, और पारिवारिक विवादों को निपटाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि सभी पक्षकारों को बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया के समाधान मिल सके।
- समय और स्थान: राष्ट्रीय लोक अदालत 21 सितंबर को विभिन्न जिलों और नगर निगमों के न्यायालयों में आयोजित की जाएगी। अदालत का समय सामान्यतः सुबह 10 बजे से दोपहर 4 बजे तक रहेगा। संबंधित न्यायालयों में समय और स्थान की पुष्टि के लिए स्थानीय न्यायालय से संपर्क किया जा सकता है।
- प्रवेश प्रक्रिया: नागरिकों को अपने मामलों की सुनवाई के लिए लोक अदालत में पंजीकरण कराना होगा। यह प्रक्रिया ऑनलाइन या संबंधित न्यायालय में जाकर की जा सकती है। पंजीकरण की तारीख और समय की जानकारी स्थानीय न्यायालय से प्राप्त की जा सकती है।
- मामलों की सुनवाई: लोक अदालत में उन मामलों की प्राथमिकता दी जाएगी जो समझौता और मुआवजा से संबंधित हैं। अदालत में मामले का समाधान त्वरित और सुलभ तरीके से किया जाएगा, ताकि लोगों को लंबे समय तक कानूनी प्रक्रियाओं का सामना न करना पड़े।
राष्ट्रीय लोक अदालत की पहल न्याय प्रणाली को सुलभ और व्यावहारिक बनाने में सहायक है। यह अदालत आम नागरिकों को न्याय प्राप्त करने में सहायता करती है और कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाती है। इस प्रकार की अदालतें समाज में कानूनी साक्षरता बढ़ाने और विवादों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
21 सितंबर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसमें नागरिकों को अपनी कानूनी समस्याओं का त्वरित समाधान प्राप्त करने का मौका मिलेगा। यह अदालत कानूनी सेवाओं को अधिक सुलभ बनाने और विवादों के त्वरित समाधान में सहायता करने के लिए समर्पित है। इच्छुक व्यक्तियों को इस अवसर का लाभ उठाकर अपने मामलों को निपटाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
रायपुर। आगामी नेशनल लोक अदालत 21 सितंबर 2024 को आयोजित की जाएगी। मुख्य न्यायाधिपति छत्तीसगढ उच्च न्यायालय-सह-मुख्य संरक्षक छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोक अदालत की तैयारियों की समीक्षा की।
मुख्य न्यायाधिपति छत्तीसगढ उच्च न्यायालय-सह-मुख्य संरक्षक छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने सभी न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया कि जिस गति से न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या बढ रही है, उसमें यह जरूरी है कि लोक अदालतों के आयोजन में राजीनामा योग्य मामलों का पक्षकारों की आपसी सहमति से विधि सम्मत निराकरण करने का सभी संभव प्रयास किया जावे।
मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से निराकृत प्रकरणों का लाभ जहंा मामले के दोनों पक्षकारों को मिलता है, वहीं ऐसे मामलों के निराकृत होने से न्यायालयों में भी लंबित मामलों की संख्या कम होती है जिससे न्यायालय के पीठासीन अधिकारी राजीनामा योग्य मामलों से हटकर अन्य प्रकृति के लंबित मामलों को निराकृत करने में न्यायालयीन कार्य दिवसों में अधिक समय दे पाते हैं।
उन्होंने 21 सितंबर 2024 को आयोजित होने जा रही नेशनल लोक अदालत में राजीनामा प्रकृति के सभी सिविल, आपराधिक एवं अन्य प्रकरणों को अधिक से अधिक संख्या में चिन्हांकित कर विधिवत् निराकृत करना साथ-ही-साथ न्यायालयों में 5 एवं 10 वर्ष से अधिक समय से लंबित राजीनामा योग्य प्रकरणों के निराकरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई।
मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने कहा कि बैंकों, अन्य वित्तीय संस्थाओं, विद्युत वितरण कंपनियों, बीएसएनएल, बीमा कंपनियों एवं अन्य के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले प्री-लिटिगेशन आवेदनों के पक्षकारों की प्री-सिटिंग करा अधिक-से-अधिक प्री-लिटिगेशन मामलों के निराकरण की आवश्यकता है। सामान्य राजीनामा योग्य मामलों का न्यायालय में आने से पूर्व प्री-लिटिगेशन स्तर पर ही निराकरण हो जाने से ऐसे मामले न्यायालय तक नहीं आते जिससे पक्षकारों को तो लाभ होता ही है, न्यायालयों में भी लंबित मामलों को संस्थित किए जाने की संख्या में वृद्धि नहीं होती है।
मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने व्यक्त किया कि पक्षकारों की सहमति से एवं विधि अनुसार अधिक-से-अधिक राजीनामा योग्य मामलों का निराकरण करने के लिए लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी का यथोचित प्रयास अपेक्षित है।
अवगत हो कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा), नई दिल्ली के निर्देशानुसार वर्ष 2024 हेतु निर्धारित कैलेण्डर अनुसार नेशनल लोक अदालत का आयोजन 21 सितंबर 2024 को उच्च न्यायालय से लेकर तहसील न्यायालयों के साथ-साथ राजस्व न्यायालयों में भी आयोजित किया जा रहा है। जिलों से प्राप्त अब तक की जानकारी अनुसार 180259 प्री-लिटिगेशन मामले तथा 34824 न्यायालयों में लंबित सहित कुल 215083 मामलों का चिन्हांकन किया जा चुका है, जिनके पक्षकारों के मध्य राजीनामा की संभावनाओं का प्रयास किया जा रहा है।
नेशनल लोक अदालत की तैयारी के संबंध में आयोजित बैठक में न्यायाधीश छत्तीसगढ उच्च न्यायालय-सह-कार्यपालक अध्यक्ष छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण श्री न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी तथा न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल शामिल हुए। समस्त जिलों के प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं उनके सचिव, फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, न्यायाधीश, स्थायी लोक अदालत के चेयरमेन, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्रम न्यायालय के न्यायाधीश भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े।