joharcg.com रायपुर। राज्य शासन ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है जिसमें नगरीय निकायों में नगर पंचायत अध्यक्ष और नगर पालिका अध्यक्ष के वित्तीय अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं। अब यह अधिकार संबंधित नगर निकायों के मुख्य नगरपालिका अधिकारी (सीएमओ) को सौंप दिया गया है।
राजपत्र में प्रकाशित संशोधन
इस संशोधन को राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है। इसके अनुसार, अब नगर पंचायत और नगर पालिका के चुने हुए अध्यक्षों को वित्तीय अधिकार नहीं रहेंगे। यह अधिकार सीएमओ को प्रदान कर दिया गया है।
वित्तीय प्रक्रियाओं की नई व्यवस्था
संशोधन के अनुसार, भुगतान की गई नस्ती और भुगतान की जानकारी अध्यक्ष को सूचनार्थ तीन दिवस के भीतर भेजी जाएगी। यह कदम नगरीय निकाय में काबिज अध्यक्षों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
इस आदेश से राजनीतिक विवाद भी उत्पन्न हो गए हैं। कांग्रेस के पदस्थ अध्यक्षों के लिए यह बड़ा धक्का माना जा रहा है क्योंकि अब उनके पास वित्तीय नियंत्रण नहीं रहेगा और सीएमओ को ज्यादा पावरफुल बना दिया गया है। दूसरी ओर, भाजपा के अध्यक्षों का कहना है कि पहले से ही सीएमओ की सहमति से कार्य होते आ रहे हैं, इसलिए इस आदेश का सबसे ज्यादा प्रभाव कांग्रेस के पदासीन अध्यक्षों पर पड़ेगा।
छत्तीसगढ़ शासन का यह निर्णय नगरीय निकायों में वित्तीय व्यवस्थाओं को लेकर एक बड़ा बदलाव लाया है। यह देखा जाना बाकी है कि इस कदम का नगरीय निकायों के संचालन और राजनीतिक संतुलन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
हाल ही में, एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय के तहत गर पंचायत और नगर पालिका अध्यक्षों के वित्तीय अधिकार समाप्त कर दिए गए हैं। इस कदम ने स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह बदलाव स्थानीय शासन व्यवस्था में बड़े परिवर्तन को संकेत करता है और इसके व्यापक प्रभावों पर चर्चा की जा रही है।
सरकारी आदेश के अनुसार, अब गर पंचायत और नगर पालिका अध्यक्षों के पास वित्तीय प्रबंधन और बजट स्वीकृति के अधिकार नहीं रहेंगे। पहले, इन पदाधिकारियों को स्थानीय विकास योजनाओं के लिए बजट आवंटित करने और वित्तीय निर्णय लेने का अधिकार था, लेकिन अब यह अधिकार संबंधित विभागों और अधिकारियों के पास चले गए हैं।
इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है। सरकार का कहना है कि इस कदम से वित्तीय गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की संभावनाओं को कम किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, यह निर्णय स्थानीय प्रशासन में अधिक कुशलता और नियंत्रित वित्तीय प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
स्थानीय पंचायत और नगर पालिका अध्यक्षों ने इस निर्णय पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ लोगों ने इसे आवश्यक सुधार बताया है, जबकि दूसरों ने इसके परिणामस्वरूप स्थानीय प्रशासन के कार्यक्षमता पर प्रभाव डालने की आशंका जताई है। कई स्थानीय नेताओं का कहना है कि इस निर्णय से स्थानीय विकास योजनाओं में देरी हो सकती है और उनके पास अब सीमित अधिकार रहेंगे।
वित्तीय अधिकारों के समाप्त होने के बाद, अब संबंधित विभागों और अधिकारियों को वित्तीय प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई है। इन विभागों को स्थानीय विकास परियोजनाओं के लिए बजट आवंटित करने, वित्तीय योजना तैयार करने और खर्चों की निगरानी करने का काम सौंपा गया है।
इस निर्णय के संभावित प्रभावों में शामिल हैं:
- वित्तीय पारदर्शिता: यह निर्णय वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देने में मदद करेगा और संभावित भ्रष्टाचार को कम कर सकता है।
- स्थानीय प्रशासन में बदलाव: पंचायत और नगर पालिका अध्यक्षों को अब स्थानीय प्रशासन में सीमित अधिकार मिलेंगे, जो उनके कार्यक्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।
- प्रभावित विकास योजनाएँ: बजट आवंटन और वित्तीय निर्णय अब विभागीय अधिकारियों द्वारा किए जाएंगे, जिससे विकास योजनाओं की गति पर असर पड़ सकता है।
गर पंचायत और नगर पालिका अध्यक्षों के वित्तीय अधिकार समाप्त होने के इस निर्णय ने स्थानीय प्रशासन में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। यह बदलाव प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने का प्रयास है, लेकिन इसके प्रभावों को लेकर स्थानीय समुदाय में चिंता और चर्चाएँ जारी हैं।