joharcg.com प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुए बड़े हादसे से प्रशासन ने सीख ली है और अब आगामी बसंत पंचमी के मौके पर सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर पांच महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। इन सुधारों का उद्देश्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचना है।
पहला सुधार श्रद्धालुओं की संख्या पर कड़ी निगरानी रखना है। प्रशासन ने खासतौर पर उन स्थानों पर बेहतर नियंत्रण किया है, जहां भारी भीड़ उमड़ सकती है। दूसरे, घाटों पर रैंप और सुरक्षात्मक बैरिकेडिंग का विस्तार किया गया है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। तीसरा सुधार सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार है, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना न करना पड़े और वे आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।
इसके अलावा, कुंभ क्षेत्र में सुरक्षा बलों की तैनाती भी बढ़ाई गई है और ड्रोन कैमरे के जरिए निगरानी की व्यवस्था मजबूत की गई है। साथ ही, श्रद्धालुओं को दिशा-निर्देश देने के लिए अधिक संख्या में volunteers तैनात किए गए हैं, ताकि वे सुरक्षित रूप से कुंभ क्षेत्र में प्रवेश कर सकें और बिना किसी अव्यवस्था के स्नान कर सकें।
महत्वपूर्ण यह है कि इन सुधारों के बाद श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में कोई हादसा न हो। इन कदमों से न केवल भीड़ नियंत्रण में मदद मिलेगी, बल्कि हर साल महाकुंभ में होने वाली भीड़-भाड़ के दौरान कुंभ क्षेत्र में एक सुव्यवस्थित माहौल बनेगा।
यह सुधार महाकुंभ के आयोजकों की ओर से किए गए सकारात्मक प्रयासों का हिस्सा हैं, जो श्रद्धालुओं की भलाई और कुंभ क्षेत्र की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू किए गए हैं।
प्रयागराज के महाकुंभ में संगम नोज पर मंगलवार-बुधवार की रात हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 60 लोग घायल हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या जिम्मेदार अफसरों ने इस घटना से कोई सबक लिया है, क्या बसंत पंचमी पर होने वाले अगले शाही स्नान पर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए कोई चूक नहीं होने दी जाएगी? 30 मौत के बाद प्रयागराज में क्या बदला है? जहां आज डीजीपी, मुख्य सचिव ने पहुंचकर हादसे की जगह का मुआयना किया है तो शुक्रवार को प्रयागराज में उस न्यायिक आयोग को भी आना है, जिसका गठन मुख्यमंत्री ने किया है. न्यायिक आयोग जो इस सच का पता करेगा कि आखिर भगदड़ क्यों और कैसे हुई?
सवाल ये भी है कि क्या कुंभ में 30 लोगों की जान ना जाती, अगर वक्त रहते वीआईपी को मिलने वाली छूट बंद हो जाती? क्या कुंभ के आयोजन पर मौत का काला दाग ना लगता, अगर भगदड़ के बाद उठाए गए कदम पहले ले लिए गए होते? क्या कुंभ स्नान करने आए परिवार अपनों को ना खोते अगर बसंत पंचमी के शाही स्नान के लिए हुए बदलाव मौनी अमावस्या से पहले ही हो जाते?
महाकुंभ को 18 दिन बीत चुके हैं. 29 करोड़ से ज्यादा लोग महाकुंभ में डुबकी लगा चुके हैं, मौनी अमावस्या के भगदड़ के अगले दिन यानी गुरुवार को ही पौने दो करोड़ लोग शाम चार बजे तक डुबकी लगा चुके हैं. एक भीड़ मौनी अमावस्य़ा पर थी, अब करोड़ों लोग बसंत पंचमी पर जुट सकते हैं, लेकिन महाकुंभ की जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों की नींद तब टूटी है, जब मौनी अमावस्या की रात भगदड़ में 30 मौत हो गईं.
महाकुंभ में व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी निभाते रहे लोगों की लापरवाही की छाया अगले शाही स्नान पर ना पड़े, इसलिए मुख्यमंत्री के आदेश पर लखनऊ से मुख्य सचिव मनोज सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार संगम के किनारे उसी जगह पहुंचे, जहां मंगलवार-बुधवार रात मौत की चीख पुकार मची. भगदड़ वाली जगह पर स्थित पुलिस के वॉच टॉवर पर मुख्य सचिव और डीजीपी दोनों ने चढ़कर मुआयना किया. इसके साथ ही 5 अहम बदलाव किए गए हैं.
महाकुंभ में हुए हैं ये 5 बदलाव
1. मेला क्षेत्र पूरी तरह नो-व्हीकल जोन – सभी प्रकार के वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध.
2. VVIP पास हुए रद्द – किसी भी विशेष पास के जरिए वाहन को प्रवेश नहीं मिलेगा.
3. रास्ते किए गए वन-वे – श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन के लिए एक तरफा मार्ग व्यवस्था लागू.
4. वाहनों की एंट्री पर रोक – प्रयागराज से सटे जिलों से आने वाले वाहनों को जिले की सीमा पर रोका जा रहा है.
5. चार फरवरी तक सख्त प्रतिबंध – शहर में चार पहिया वाहनों की एंट्री पर पूरी तरह से रोक रहेगी.
वनवे रास्ता, No-Vehicle Zone, VVIP पास रद्द, भगदड़ के बाद महाकुंभ के प्रोटोकॉल में हुए ये 5 बदलाव
कुंभ में नहीं चलेगा VIP कल्चर
अगले शाही स्नान से पहले जिस सुधार की बात सबसे जरूरी मानी गई है, वो है कुंभ को वीआईपी कल्चर से मुक्त रखना. वीआईपी कल्चर यानी फलाने जी.. ढिमाके जी, वो वाले नेताजी, ये वाले सर जी, यहां वाले साहब, वहां वाले रिटायर्ड अधिकारी… फिर चाहे वर्दीधारी हो या खद्दरधारी. कोई भी अपने अपने घरवाले, नाते रिश्तेदारों के लिए वीवीआईपी वाला हूटर बजाकर आम जनता के बीच से नहीं चलेगा. मतलब अब कुंभ में वीआईपी कल्चर नहीं चलेगा.
VIP प्रोटोकॉल पर दी अफसरों ने सफाई
संभव है कि कुंभ मेला की अब तक जिम्मेदारी संभालते रहे मेलाधिकारी विजय किरण आनंद और डीआईजी मेला वैभव कृष्ण को अंदाजा हो गया था कि वीआईपी को मिलती छूट का गुस्सा भगदड़ के बाद इन्हीं पर उतारा जाएगा. इसीलिए भगदड़ के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए दोनों बड़े अधिकारी सबसे पहले वीआईपी प्रोटोकॉल पर ही अपनी सफाई देते हैं. बसंत पंचमी के अमृत स्नान से पहले तय हुआ है कि मेला क्षेत्र में वन -वे व्यवस्था लागू कर दी गई है, यानी किसी भी रास्ते पर दो तरफ से लोग नहीं आ जा सकते.
क्या जिम्मेदारों को मिलेगी सजा?
इस बीच सवाल ये भी है कि क्या वाकई जिम्मेदार चेहरे पकड़े जाएंगे. ये सवाल इसलिए पूछा जा रहा है कि क्योंकि 1954 में हुई कुंभ की भगदड़ हो या फिर 2013 के कुंभ में प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़. लोगों की मौत के जिम्मेदारों को पहले सजा नहीं मिलीथी. हालांकि ये फैसला लखनऊ से चलने वाला न्यायिक आयोग करेगा, जो शुक्रवार को प्रयागराज पहुंचेगा और एक महीने में ये जांच करके बताएगा कि आखिर किसकी वजह से कैसे और किन हालात में भगदड़ हुई.
निश्चित तौर पर न्यायिक आयोग इस बात को उन अधिकारियों से भी समझेगा, पूछेगा, जिनके कंधे पर कुंभ मेले की पूरी जिम्मेदारी है, जैसे डीआईजी वैभव कृष्ण. ये बसंत पंचमी के शाही स्नान की तैयारी में जुटे हैं. इतने व्यस्त हैं कि मीडिया के तैयारियों पर सवाल को लेकर कहते हैं, जल्दी कर लो. बार-बार नहीं बोलूंगा.(aajtak.in)