joharcg.com आज, 14 अक्टूबर 2024 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा, जो एक खास खगोलीय घटना है। यह ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, और इसे देखने के लिए खगोल प्रेमियों में भारी उत्साह है। लेकिन इस ग्रहण के साथ एक महत्वपूर्ण सवाल भी है: क्या भारत में इसका सूतक काल मान्य होगा?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का प्रकाश आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। आज का ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो भारत में कई स्थानों पर देखा जा सकेगा। ग्रहण का समय सुबह 10:30 बजे के आस-पास शुरू होगा और लगभग 2:30 बजे तक चलेगा।
हिंदू धर्म में ग्रहण के दौरान सूतक काल का पालन किया जाता है। सूतक काल वह समय होता है जब ग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है। आमतौर पर, सूतक काल ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले से लेकर ग्रहण के समाप्त होने तक माना जाता है।
भारत में, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय कुछ कार्य जैसे पूजा, हवन और खाना बनाना निषिद्ध होते हैं। हालांकि, विभिन्न पंडितों और ज्योतिषियों के बीच इस बारे में मतभेद हैं कि आज के सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य होगा या नहीं।
कई विद्वानों का मानना है कि आज का सूर्य ग्रहण कुछ स्थानों पर सूतक काल का पालन करने के लिए अनिवार्य नहीं है। उनका कहना है कि यह ग्रहण आंशिक है और इससे होने वाले प्रभाव कम होते हैं। जबकि अन्य का मानना है कि सभी ग्रहणों का एक समान महत्व होता है और इसलिए सूतक काल का पालन करना आवश्यक है।
ग्रहण का असर सिर्फ धार्मिक मान्यताओं तक ही सीमित नहीं होता। इसे सामाजिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी देखा जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि ग्रहण के समय मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है, जबकि अन्य इसे नई शुरुआत और सकारात्मक बदलाव का प्रतीक मानते हैं।
आज का सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जो न केवल खगोल विज्ञान के लिए बल्कि धार्मिक मान्यताओं के लिए भी खास है। सूतक काल का पालन करने की आवश्यकता पर विभिन्न विचार हो सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हम इस अद्भुत घटना का अनुभव करें और इसके साथ जुड़े ज्ञान को समझें। जैसे-जैसे ग्रहण का समय नजदीक आता है, लोग इसके प्रति उत्साहित हैं और इसके प्रभावों के बारे में जानने के लिए तैयार हैं।
आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. सूर्य ग्रहण को एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में भी इसका विशेष महत्व होता है क्योंकि सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है. इसलिए जब भी सूर्य से जुड़ी कोई हलचल होती है तो उसका सीधा प्रभाव धरती पर रहने वाले जीवों पर पड़ता है. ऐसे में सूर्य ग्रहण को लेकर वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि ज्योतिष भी सचेत रहते हैं. साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगने जा रहा है. चलिए जानते हैं साल के आखिरी सूर्य ग्रहण से जुड़ी सभी खास जानकारी.
भारत में क्या दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर आज लगने जा रहा है. यह ग्रहण दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी भागों, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक, चिली, पेरू, होनोलूलू, अंटार्कटिका, अर्जेंटीना, उरुग्वे, ब्यूनस आयर्स, बेका आइलैंड, फ्रेंच पॉलिनेशिया महासागर, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण भाग फिजी, न्यू चिली, ब्राजील, मेक्सिको और पेरू में कुछ जगहों पर दिखाई देगा.
भारतीय समयानुसार, साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण आज लगने जा रहा है. यह ग्रहण भारतीय समयानुसार आज रात 9 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा और इस ग्रहण का समापन 3 अक्टूबर की मध्यरात्रि 3 बजकर 17 मिनट पर होगा. इस सूर्य ग्रहण का मध्य समय रात 12 बजकर 15 मिनट पर होगा.
सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा या नहीं
यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दृश्यमान होगा. इसलिए, इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा. यानी कि इस ग्रहण का देश पर भौतिक प्रभाव, आध्यात्मिक प्रभाव, सूतक का प्रभाव या किसी प्रकार का धार्मिक प्रभाव नहीं पड़ने वाला है.
इस ग्रहण के दौरान भारत में रहने वाले सभी लोगों के लिए सामान्य दिनचर्या होगी. शास्त्रों की मानें तो ग्रहण जहां लगता है और जहां दिखता है वहीं इसका प्रभाव भी पड़ता है. इसलिए, भारत में यह ग्रहण न दिखने के कारण इसका कोई भी प्रभाव भारतवासियों पर नहीं पड़ने वाला है.
कहां कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण?
आज रात लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. यह ग्रहण दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी भागों, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक, चिली, पेरू, होनोलूलू, अंटार्कटिका, अर्जेंटीना, उरुग्वे, ब्यूनस आयर्स, बेका आइलैंड, फ्रेंच पॉलिनेशिया महासागर, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण भाग फिजी, न्यू चिली, ब्राजील, मेक्सिको और पेरू में कुछ जगहों पर दिखाई देगा.
सूर्य ग्रहण का दुनिया पर प्रभाव
इस बार सूर्य ग्रहण कन्या राशि में लगने जा रहा है. ग्रहण के समय सूर्य पर राहु की पूर्ण दृष्टि रहेगी. साथ ही शनि के साथ सूर्य का षडाष्टक योग भी बनेगा और केतु भी सूर्य में मौजूद रहेंगे. साथ ही, इस ग्रहण में सूर्य, चन्द्रमा, बुध और केतु का संयोग बनेगा. राहु और केतु का अक्ष मीन और कन्या राशि में प्रभावशाली हो जाएगा. इसमें सूर्य, मंगल और केतु का प्रभाव बन गया है.
यह स्थिति दुनिया भर में राजनैतिक रूप से भयंकर उथल पुथल मचा सकती है. शेयर बाजार और दुनिया भर की आर्थिक स्थिति हिल सकती है. कन्या और मीन राशि का प्रभाव विश्व भर में युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के संकेत दे रहा है.
क्या है सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण तब लगता है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक रेखा में आ जाते हैं और जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और धरती के एक भाग पर अंधेरा छा जाता है. यही सूर्य ग्रहण कहलाता है.
ग्रहण की सावधानियां
ग्रहण काल में सामान्यत: सूतक लग जाता है. इस काल में बहुत सारी सावधानियां का पालन करना पड़ता है. हालांकि, ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. इसीलिए, नियमों के पालन की कोई आवश्यकता नहीं होगी. गर्भवती महिलाओं को भी चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है. हालांकि, जिन जगहों पर ये ग्रहण दिख रहा है, वहां रहने वाले भारतीय सूतक के नियमों का पालन कर सकते हैं.
ग्रहण काल में क्या करना लाभकारी होगा
1. ग्रहणकाल में मंत्र जाप करना, ध्यान करना विशेष लाभकारी होगा.
2. ग्रहणकाल में की गई पूजा निश्चित रूप से स्वीकार होती है.
3. मंत्र सिद्ध करना या दीक्षा लेना ग्रहण काल में विशेष शुभ होता है.
4. ग्रहण के बाद स्नान करके किसी निर्धन को दान अवश्य करें.