Amritdhara Waterfall
Amritdhara Waterfall यह खूबसूरत झरना राष्ट्रीय राजमार्ग 43 और नागपुर ग्राम पंचायत से 8 किलोमीटर दूर स्थित है, यह हसदेव नदी पर स्थित प्रकृति का एक सुंदर दृश्य है। हर साल महा शिवरात्री पर अमृतधारा महोत्सव त्योहार कोरिया जिला प्रशासन द्वारा आयोजित किया जाता है।
जिले की जीवनदायनी एवं प्रदेश को ऊर्जादायिनी नदी हसदेव पर बने अमृतधारा जलप्रपात को आने वाले समय में विशेष पहचान मिलेगी। कुछ ही दिनों में अमृतधारा जलप्रपात छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के रूप में अपनी पहचान बना सकेगा।
मैकल की पहाडिय़ों से निकलकर हसदेव नदी पहले गौरघाट में एक जलप्रपात का रूप लेती है यह स्थल भी अपने आप में अद्वितीय है और कई विशेषताओं को अपने में समाहित किए हुए है। यहां गर्मियों में जिले के साथ ही साथ दूसरे जिलों के सैलानी भी अपने परिवार के साथ सुकून के दो पल बिताने के लिये यहां पहुंचते हैं।
इससे आगे चलकर कलकल बहती हुई हसदेव की निरमल धारा नागपुर के पास स्थित ग्राम पंचायत लाई में राष्ट्रीय राजमार्ग ४३ से लगभग ८ किमी दूर एक जलप्रपात के रूप में गिरती है जिसके सौन्दर्य के कारण इसका नाम अमृतधारा पड़ा। इस जलप्रपात का विहंगम दृश्य देखने के लिये न केवल छ.ग. वरन् मध्यप्रदेश के लोग भी यहां काफी संख्या में पहुंचते है। खासकर गर्मी के समय निरमल जलधारा जो काफी ऊचाई से गिरती है लोगों के लिये आश्यर्च का केन्द्र होती है। दिनों-दिनों इस जलप्रपात में आने वाले सैलानियों की बढ़ती हुई संख्या को देखकर भरतपुर सोनहत क्षेत्र की विधायक चम्पादेवी पावले ने इस क्षेत्र के सौन्दर्यीकरण के लिये व्यापक पहल की है। जिसके प्रथम चरण में यहां हाईमास्क लाइट लगाई गई है जो रात के समय अमृतधारा के सौन्दर्य को दोगुना कर देती है। यहां विद्युत की समस्यां होने के कारण किरणाविभाग द्वारा सौर ऊर्जा से संचालित बिजली लगाई गई है।
पर्यटकों की आवक को देखते हुये अब खुद कलेक्टर कोरिया ने इस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिये सार्थक पहल की है। जिसके पहले चरण में लगभग २० लाख रूपये राशि का प्रावधान रखा गया है। इस राशि से यहां विद्युतीकरण किया जायेगा। जिससे यहां आने वाले लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। साथ ही साथ इस जल प्रपात के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों को भी इस सुविधा का लाभ मिल सकेगा। और वें भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे। अमृतधारा क्षेत्र जहां हसदेव नदी का जल काफी ऊचाई से गिरता है इस वजह से पूरे क्षेत्र में ऊर्जा का जो प्रवाह व्याप्त है। जिस कारण यहां समय-समय पर यहीं ध्यान केन्द्र एवं गोष्ठियों का भी आयोजन किया जाता है। यहां लोग फुरसत के क्षणों में अपने परिवारजनों के साथ पहुंचते हैं ऐसे में यदि इस क्षेत्र में विद्युतीकरण का कार्य तेजी से होता है तो निश्चित है यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में दसगुना से भी ज्यादा इजाफा होगा।
जल प्रपात के साथ ही साथ कई दुलर्भ प्रजातियों की जड़ीबूटियां, वनस्पतियां भी मौजूद है। वहीं जलप्रपात के नजदीक स्थित प्राचीन शिवमंदिर की भी अपनी मान्यता है। यहां प्रति सोमवार काफी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। इसके अलावा यहां मकरसंक्रांति एवं महाशिवरात्रि पर मेला भी आयोजित किया जाता है जिसमें काफी संख्या में लोगों शामिल होते है।
वनविभाग द्वारा यहां पर एक विश्रामगृह और रेस्टोरेंट का निर्माण कराया गया है। वहीं रेलवे प्रशासन को भी जिला प्रशासन द्वारा यहां पर जमीन दी गई है। और रेलवे द्वारा भी यहां पर एक रेस्टहाऊस बनाये जाने की योजना है। कलेक्टर एस प्रकाश की पहल पर अमृतधारा में एक कैफेटेरिया भी खोले जाने का प्रस्ताव है। वहीं यहां आने वाले पर्यटकों को इसी स्थान में सुमधुर संगीत की धुनें सुनाई दे ऐसी भी व्यवस्था की जा रही है।
कैसे पहुंचें:
बाय एयर
रायपुर छत्तीसगढ़ का स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट निकटतम है जिसकी बैकुंठपुर से दूरी लगभग 315 किमी है
ट्रेन द्वारा
बैकुंठपुर रेलवे स्टेशन इस जल प्रपात से 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और नागपुर रेलवे स्टेशन से 10 किमी दूर है। बैकुंठपुर रेलवे स्टेशन और झरना तक सड़क मार्ग से जुड़ा है।
सड़क के द्वारा
मनेन्द्रगढ़ शहर इससे सड़क मार्ग से 28 किलोमीटर दूर है और बैकुंठपुर शहर से लगभग 35 किमी दूर है। नागपुर क्षेत्र मनेन्द्रगढ़ ब्लॉक के अंतर्गत आता है जो राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर स्थित है। नागपुर से जलप्रपात लगभग 8 किमी दूर स्थित है