joharcg.com कोण्डागांव: छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिले की दिव्यांग जानकी ने अपनी दृढ़ संकल्प और मेहनत से महिलाओं के लिए एक नई मिसाल पेश की है। जानकी ने “बिहान” कार्यक्रम से जुड़कर न केवल अपनी जिंदगी को नया मोड़ दिया, बल्कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया है।
जानकी का जीवन पहले कई चुनौतियों से भरा हुआ था। वे दिव्यांग हैं, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दिया। उन्होंने अपने जीवन में कठिनाईयों को एक अवसर के रूप में लिया और अपने लिए नई राहें खोजीं। जब वे बिहान कार्यक्रम से जुड़ीं, तो उन्होंने न केवल अपने लिए, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी नए अवसरों की खोज शुरू की।
बिहान कार्यक्रम के तहत, जानकी ने आत्मनिर्भरता की दिशा में कई कदम उठाए। उन्होंने अपने छोटे से व्यवसाय की शुरुआत की, जिसमें स्थानीय उत्पादों का उपयोग किया गया। जानकी ने स्थानीय कारीगरों और महिलाओं को अपने व्यवसाय में शामिल किया और उन्हें रोजगार प्रदान किया। उनका यह कदम न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हुआ, बल्कि उन्होंने अपने समुदाय में भी सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया।
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जानकी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने जैसे कई महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन जाऊँगी। जब मैंने बिहान से जुड़कर काम करना शुरू किया, तो मैंने महसूस किया कि मेहनत और संकल्प से कुछ भी संभव है।” उनके इस उत्साह और संकल्प ने आसपास के लोगों को भी प्रेरित किया है, और वे जानकी को अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रेरणा के रूप में देखते हैं।
जानकी की कहानी ने साबित कर दिया है कि किसी भी स्थिति में आत्मविश्वास और मेहनत से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने समाज में दिव्यांग व्यक्तियों की भूमिका को भी नया दृष्टिकोण दिया है। उनके प्रयासों से यह संदेश गया है कि हमें समाज के हर वर्ग की प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें अवसर देने की आवश्यकता है।
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कोण्डागांव की जानकी ने न केवल अपने लिए, बल्कि सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की है। उनकी मेहनत और संघर्ष ने साबित कर दिया है कि सकारात्मक सोच और प्रयास से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। जानकी की प्रेरणा से अन्य दिव्यांग महिलाएं भी अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।