joharcg.com खूंटाघाट डैम का शांत पानी और उसके आसपास की हरियाली हमेशा से पर्यटकों और स्थानीय लोगों को आकर्षित करती आई है। लेकिन हाल ही में यहाँ घटित हुई एक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। डैम से एक मगरमच्छ के भागने और उसकी दर्दनाक मौत ने इलाके में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना की शुरुआत तब हुई जब खूंटाघाट डैम में रहने वाला एक मगरमच्छ अचानक किसी तरह से सुरक्षा घेरा तोड़कर बाहर निकल गया। इस खतरनाक जानवर का अचानक गायब होना स्थानीय निवासियों और प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया। मगरमच्छ के बाहर निकलते ही आसपास के गांवों में हड़कंप मच गया, और वन विभाग के अधिकारियों ने उसकी तलाश शुरू कर दी।
तलाश के दौरान अधिकारियों को सूचना मिली कि मगरमच्छ एक मुख्य सड़क के पास देखा गया है। उसकी पहचान होते ही उसे वापस पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन अफसोस की बात यह है कि मगरमच्छ एक तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आ गया। हादसे के बाद मगरमच्छ की मौके पर ही मौत हो गई। इस दुर्घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि वन्यजीव प्रेमियों को भी झकझोर कर रख दिया।
इस घटना के बाद खूंटाघाट डैम की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे हैं। लोगों का मानना है कि अगर डैम के आसपास सुरक्षा घेरा मजबूत होता और वन्यजीवों की निगरानी के लिए उचित इंतजाम होते, तो शायद इस तरह की घटना न घटती। विशेषज्ञों का कहना है कि डैम और अन्य वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों को सख्त करने की जरूरत है, ताकि इस तरह के हादसों से बचा जा सके।
प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए एक जांच कमेटी का गठन किया है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति कैसे रोकी जा सके। वन विभाग के अधिकारियों ने भी इस घटना पर खेद जताते हुए कहा कि वे इस मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही को सहन नहीं करेंगे और सुरक्षा व्यवस्थाओं को और मजबूत किया जाएगा।
यह घटना एक बार फिर से वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करती है। मगरमच्छ जैसे खतरनाक जानवरों के लिए सुरक्षित निवास स्थलों का होना जरूरी है। साथ ही, इनकी निगरानी के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल भी समय की मांग है।
इस हादसे ने न केवल एक बेजुबान जानवर की जान ली, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्थाओं की खामियों को भी उजागर किया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस घटना से क्या सबक लेता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
कोटा। रतनपुर क्षेत्र में स्थित खूंटाघाट डैम में मगरमच्छों की बड़ी संख्या है, जो अक्सर भोजन की तलाश में डैम से बाहर निकल आते हैं। शुक्रवार को एक ऐसी ही घटना में, ग्राम जाली पुरैना तालाब के पास एक मगरमच्छ अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। मृत मगरमच्छ की सर कुचली हुई लाश सड़क के किनारे पाई गई।
यह घटना इलाके में वन्यजीव सुरक्षा के प्रति लापरवाही को उजागर करती है। स्थानीय लोगों के अनुसार, डैम में मगरमच्छों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे वे भोजन की तलाश में अक्सर डैम से बाहर निकलते हैं। कई बार ये मगरमच्छ गांव के तालाबों और गलियों में भी देखे जाते हैं, जिससे स्थानीय निवासियों के लिए खतरा पैदा हो जाता है।
सुरक्षा व्यवस्था की कमी
मगरमच्छों की इस तरह की मौतें वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था की कमी को दर्शाती हैं। डैम के आसपास मगरमच्छों को नियंत्रित करने और उनके सुरक्षित निवास के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर खूंटाघाट डैम में मगरमच्छों की संख्या अधिक हो गई है, तो उन्हें कोटमी सोनार अभयारण्य में स्थानांतरित किया जा सकता है, या फिर डैम में ही उनकी सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जाने चाहिए।
स्थानीय लोगों ने वन विभाग से मांग की है कि मगरमच्छों की सुरक्षा और आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। वन विभाग की निष्क्रियता के कारण लगातार वन्यजीवों की जान जा रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है। Tokhan Sahu Archives – JoharCG