Bhoramdev Centrury
Bhoramdev Centrury भोरमदेव अभयारण्य मैकल की हरियर वादियों में फैला हुआ है। 352 वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में विस्तारित यह अभ्यारण अपने में अनेक प्राकृतिक एवं प्रागैतिहासिक विशेषताओं को समेटे हुए है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और अचानकमार टाइगररिजर्व दोनों के संरक्षण को भी सम्पूर्ण प्रदान करता है |
भोरमदेव अभयारण्य वर्ष 2001 में अधिसूचना हुआ। तब नए राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ का गठन हुआ था। चिल्फी घाटी के साथ ही कान्हा नेशनल पार्क का भी एक बढ़ा बफर जोन नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य में आ गया। चूँकि भोरमदेव और चिल्फी का यह क्षेत्रकान्हा नेशनल पार्क और अचानकमार के बीच पहले से ही एक कारीडोर के रूप में था। वन्यप्राणी की आवाजाही इधर से ही होती रही है। इसलिए वन्य प्राणियों की प्रजातियों में भी स्वाभाविक रूप से समानता पायी जाती है। इसका नामकरण भी यहाँ छत्तीसगढ़ का खजुराहो नाम से प्रतिष्टित भोरमदेव मंदिर के नाम पर ही अधिसूचित किया गया ।
भोरमदेव मंदिर अभयारण्य का विस्तार 800 53′ पूर्वी अक्षांश से 810 10′ अक्षांश और 210 54′ उत्तरी देशान्तर से 220 15′ के बीच है। उत्तर में इसका विस्तार डिंडौरी जिला की दक्षिणी सीमा तक है तो दक्षिण में मण्डलाकोंन्हा गाँव की उत्तरी सीमाओं को छूती है। इसीतरह पालक गाँव से छपरी गाँव की पश्चिमी सीमा अभ्यारण्य की पूर्वी सीमा होती है, तो पश्चिम में यह अभयारण्य कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की पूर्वी सीमा पर स्थित बालाघाट जिले के पाचवा गाँव तक विस्तारित है।
कैसे पहुंचें:
बाय एयर
निकटतम हवाई अड्डा राज्य राजधानी रायपुर में है। मुख्य हवाई अड्डा भोरमदेव अभ्यारण से लगभग 150 किमी है।
ट्रेन द्वारा
निकटतम रेलवे स्टेशन राज्य राजधानी रायपुर में है। रेलवे स्टेशन भोरमदेव अभ्यारण से लगभग 150 किमी है।
सड़क के द्वारा
भोरमदेव अभ्यारण अच्छी तरह से रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग शहर से सड़क से जुड़ा हुआ है।