Jonk River
जोंक नदी रायपुर के पूर्वी क्षेत्र का जल लेकर शिवरीनारायण के ठीक विपरीत दक्षिणी तट पर महानदी में मिलती है। इसकी रायपुर जिले में लम्बाई 90 किलोमीटर है तथा इसका प्रवाह क्षेत्र 2,480 वर्ग मीटर है।
छत्तीसगढ़ के पुरा पाषाण इतिहास में कुछ नए पन्ने जुडऩे जा रहे हैं। जोंक नदी की सभ्यता की तलाश में लगे पुरातत्ववेत्ताओं को आदि मानवों द्वारा तैयार किए गए आठ से दस हजार साल पुराने पत्थर के औजार मिले हैं। इनमें से कुछ तो 12 हजार साल या उससे भी ज्यादा पुराने हो सकते हैं।
अनुमान है कि इनका इस्तेमाल जानवरों का शिकार करने के अलावा उनकी सख्त चमड़ी को काटने के लिए किया जाता था। जोंक नदी घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां 8000 साल से लेकर 800 साल पहले तक के क्रम विकास से जुड़े प्रमाण मिल रहे हैं।
जोंक नदी इतिहास
ओडिशा की तरफ से आने वाली जोंक नदी खट्टी इलाके से राज्य में प्रवेश करती है। यहां करीब 70 किमी की दूरी तय करते हुए यह शिवरीनारायण के पास महानदी में मिलती है। इस नदी के किनारे हजारों साल की कालावधि में विकसित हुई सभ्यता के प्रमाण पहली बार मिले हैं। इससे पहले कवर्धा के पचराही के अलावा सरगुजा में कुछ स्थानों पर आदि मानवों द्वारा प्रस्तर काल में इस्तेमाल किए गए औजार मिले थे। जोंक नदी के आसपास की सभ्यता के बारे में पहली बार कोई अध्ययन शुरू किया गया है।
इसे देखते हुए राज्य के पुरातत्व विभाग के पुरातत्व अधिकारी डॉ. शिवानंद वाजपेयी और अतुल कुमार प्रधान ने पूरी नदी के सर्वे का प्रोजेक्ट शुरू किया। छत्तीसगढ़ में इसके प्रवेश से लेकर पिथौरा तक नदी के करीब 30 किलोमीटर के हिस्से का सर्वेक्षण पूरा किया जा चुका है। वाजपेयी का दावा है कि देश के अन्य स्थानों पर मिले पत्थरों के औजारों से तुलना की जाए तो ये कम से कम आठ से दस हजार साल पुराने तो हैं ही। पुरा पाषाण युग के विशेषज्ञों की मदद से इसकी सही डेटिंग हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है। इनमें से कुछ टूल्स और ज्यादा पुराने हो सकते हैं।
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