joharcg.com छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायत झोडि़याबाड़म (कलार पारा) की महिलाएं अब पारंपरिक खेती से उन्नत खेती की ओर बढ़ रही हैं। राज्य सरकार की योजनाओं और स्व सहायता समूह के माध्यम से इन महिलाओं ने टमाटर और मिर्च की खेती में सफलता हासिल की है। जय मां दंतेश्वरी स्व सहायता समूह की श्रीमती पीला बाई सेठिया और श्रीमती मालेश्वरी सेठिया ने आधुनिक तकनीकों और उन्नत किस्मों का उपयोग कर अपनी कृषि को नई दिशा दी है।

पहले पारंपरिक खेती पर निर्भर इन महिलाओं की आय सीमित थी। लेकिन बिहान योजना से जुड़कर और बैंक लिंकेज के माध्यम से इन्होंने अपनी आय बढ़ाने का निर्णय लिया। उन्नत किस्म के टमाटर और मिर्ची की खेती से न केवल उत्पादन में वृद्धि हुई बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हुई।

श्रीमती पीलाबाई और श्रीमती मालेश्वरी ने ड्रिप इरिगेशन तकनीक अपनाई, जिससे पानी की बचत हुई और पौधों को सही मात्रा में पानी मिल पाया। इसके अलावा, जैविक खाद का उपयोग कर इन्होंने रासायनिक उर्वरकों की जगह ऑर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित किया। इससे बाजार में उनके टमाटर की मांग बढ़ी और उनकी फसल की गुणवत्ता भी उत्कृष्ट रही।

मल्चिंग तकनीक (प्लास्टिक कवर का उपयोग) के माध्यम से इन्होंने मिट्टी की नमी बनाए रखी और खरपतवार को नियंत्रित किया, जिससे भूमि की उर्वरता बढ़ी और फसल को अतिरिक्त लाभ मिला।

इनकी सफलता से प्रेरित होकर, समूह की अन्य महिलाएं भी शाक सब्जियों की खेती कर रही हैं। झोडि़याबाड़म की ये महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं बल्कि एक प्रगतिशील महिला कृषक का दर्जा भी प्राप्त कर चुकी हैं।

इस प्रकार, झोडि़याबाड़म की महिलाएं टमाटर और मिर्च की उन्नत खेती से अपनी जिंदगी की तस्वीर बदल रही हैं और गांव के अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन रही हैं। उनके इस कदम से न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है बल्कि राज्य में कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रांति भी आई है।