joharcg.com जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के कंगन क्षेत्र में रविवार को बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है। कई वाहन मलबे में फंस गए। श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पड़वबल के पास मलबा आने से बंद हो गया। इससे कश्मीर घाटी का लद्दाख से संपर्क टूट गया। हालांकि, देर शाम मलबा हटाकर इस सड़क से आवाजाही बहाल कर दी गई। वहीं, हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटने से हुई तबाही में मृतकों की संख्या 13 हो गई है। मंडी के राजबन में दो और शव मिले हैं।
गांदरबल जिले के एडीसी गुलजार अहमद ने बताया कि बादल फटने की घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। पानी के तेज बहाव के कारण मलबा आने से जिन लोगों के घर प्रभावित हुए हैं, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। एसडीएम बिलाल मुख्तार ने अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को मौसम की पूरी जानकारी लेने के बाद ही आगे बढ़ने की सलाह दी है। खराब मौसम की वजह से कटड़ा में हेलिकाॅप्टर सेवा भी बाधित रही।
हिमाचल में 45 लापता लोगों की तलाश
हिमाचल में पांच दिन पहले बादल फटने की घटना में लापता लोगों की संख्या दो और बढ़ गई है। श्रीखंड यात्रा के पहले पड़ाव सिंघगाड में ठहरे दो लोग भी लापता हैं। इस तरह तीन जिलों में छह जगहों पर बादल फटने की घटनाओं के बाद 45 लोग लापता हैं। इनमें रामपुर के समेज में 36, बागीपुल में पांच, मंडी के राजबन और कुल्लू जिले के श्रीखंड में दो-दो लोग लापता हैं।
हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में हाल ही में बादल फटने की वजह से एक भयंकर आपदा की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस प्राकृतिक आपदा ने क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है और अब तक दर्जनों लोगों की मौत की खबरें सामने आई हैं। आपदा के कारण न केवल जान-माल का नुकसान हुआ है, बल्कि बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को भी क्षति पहुंची है।
बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ ने हिमाचल प्रदेश के कई गाँवों और शहरों को प्रभावित किया। भारी बारिश के साथ आई बाढ़ के पानी ने सड़कों, पुलों और मकानों को ध्वस्त कर दिया। रेस्क्यू टीमों ने राहत और बचाव कार्यों की शुरुआत की, लेकिन भारी मलबे और बाधाओं के कारण काम में कठिनाई आ रही है।
स्थानीय प्रशासन और राहत संगठनों ने प्रभावित क्षेत्रों में इमरजेंसी सेवाओं की घोषणा की है। बचाव दल ने प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए त्वरित कार्रवाई की है। हेलीकॉप्टरों और बोटों का उपयोग कर बाढ़ से प्रभावित लोगों को बाहर निकाला जा रहा है।
आपदा के कारण प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां उन्हें भोजन, चिकित्सा और आवास जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। राज्य सरकार ने आपातकालीन राहत सामग्री और संसाधन जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और केंद्रीय सरकार ने भी सहायता की घोषणा की है।
इस त्रासदी के दौरान, स्थानीय निवासियों ने भी साहसिकता और एकजुटता का परिचय दिया है। आपदा के बावजूद, स्थानीय लोग एक-दूसरे की मदद करने के लिए सामने आ रहे हैं और बचाव कार्यों में सहयोग दे रहे हैं।
इस आपदा ने हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों और बुनियादी ढांचे की स्थिति की गंभीरता को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में इस प्रकार की आपदाओं से बचाव के लिए योजना बनाने और स्थायी समाधानों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
सरकार और राहत संगठनों द्वारा आपदा पीड़ितों को हर संभव मदद और समर्थन देने की कोशिश की जा रही है, ताकि वे इस कठिन समय से उबर सकें और जल्द से जल्द सामान्य जीवन की ओर लौट सकें।