joharcg.com छत्तीसगढ़ का हसदेव अरण्य अपनी हरियाली और समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल ही में यहां 11 हजार पेड़ों की कटाई ने स्थानीय समुदायों और पर्यावरणविदों के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी है। इस कटाई का मुख्य उद्देश्य खनन परियोजनाओं को आगे बढ़ाना है, जिसे लेकर पहले से ही व्यापक जनविरोध चल रहा है। फिर भी, सभी प्रयासों और अपीलों के बावजूद, प्रशासन ने पेड़ों की कटाई की इजाजत दी।
हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन परियोजनाएं काफी समय से विवाद का कारण रही हैं। यहां की स्थानीय आदिवासी जनसंख्या और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े संगठनों ने कई बार इन परियोजनाओं का विरोध किया है। इनका मानना है कि खनन कार्य से न केवल उनकी आजीविका प्रभावित होगी, बल्कि पूरे इलाके का पारिस्थितिकी तंत्र भी खतरे में पड़ जाएगा।
यह क्षेत्र न केवल हजारों पेड़-पौधों का घर है, बल्कि यहां कई दुर्लभ जीव-जंतुओं की प्रजातियां भी पाई जाती हैं। इन परियोजनाओं से न केवल जंगल का सफाया हो रहा है, बल्कि उन जीवों का भी खतरा बढ़ गया है, जिनका अस्तित्व इन पेड़ों पर निर्भर करता है।
हाल के वर्षों में, हसदेव में हो रही पेड़ों की कटाई के खिलाफ कई बड़े आंदोलन हुए हैं। यहां के ग्रामीणों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन से लेकर सरकार के सामने अपनी चिंताओं को रखने तक हर प्रयास किया है। ‘हसदेव बचाओ’ अभियान के तहत पर्यावरण संरक्षण की गुहार लगाई गई, लेकिन यह आवाजें अनसुनी रह गईं।
इस साल के अंत में, विरोध के बावजूद 11 हजार पेड़ों की कटाई की गई। इससे स्थानीय लोग सदमे में हैं। वे इसे अपनी जड़ों से जुड़े अस्तित्व के खतरे के रूप में देख रहे हैं। कई पर्यावरणविदों ने इस घटना को छत्तीसगढ़ के जंगलों के लिए गंभीर संकट का संकेत माना है।
हालांकि सरकार का कहना है कि इन परियोजनाओं से राज्य को आर्थिक लाभ होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे, लेकिन विरोध करने वाले इस दावे को पूरी तरह से अस्वीकार करते हैं। उनका कहना है कि जंगलों के विनाश से केवल अल्पकालिक फायदे हो सकते हैं, जबकि दीर्घकालिक नुकसान अपरिवर्तनीय होगा।
हसदेव में पेड़ों की कटाई ने पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच एक गंभीर बहस को जन्म दिया है। क्या हमारे जंगलों की कीमत पर खनन जैसे कार्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, जिसका उत्तर आने वाले समय में हमारे पर्यावरण और समाज दोनों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
छत्तीसगढ़ के हसदेव में विरोध के बावजूद काटे गए 11 हजार पेड़
हसदेव अरण्य: पंचायत सचिवों ने माना, खनन के लिए किया गया फर्जीवाड़ा
युकां का अडानी के खिलाफ हल्ला बोल, रायपुर ऑफिस बंद करने नारे बाजी
एक पेड़ मां के नाम लगाने वालों ने फिर दे दिया हसदेव की कटाई का आदेश-विनोद चंद्राकर
शनिवार को अडानी के खिलाफ युकां का मार्च
छत्तीसगढ़ के हसदेव में विरोध के बावजूद काटे गए 11 हजार पेड़ – छत्तीसगढ़ के हसदेव क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन के बावजूद लगभग 11000 पेड़ काटे गए हैं। लोगों की विरोध स्थिति के बावजूद नक्सली शक्तियों ने हसदेव क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की है।
हसदेव अरण्य: पंचायत सचिवों ने माना, खनन के लिए किया गया फर्जीवाड़ा – हसदेव अरण्य में हो रहे खनन को लेकर पंचायत सचिवों और लोगों में विवाद है। पंचायत सचिवों ने माना है कि खनन के लिए फर्जी तरीके से दस्तावेज दिखाए गए हैं। युकां का अडानी के खिलाफ हल्ला बोल, रायपुर ऑफिस बंद करने नारेबाजी – युकां क्षेत्र के लोगों ने अडानी समूह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने रायपुर ऑफिस बंद करने की नारेबाजी की।
एक पेड़ मां के नाम लगाने वालों ने फिर दे दिया हसदेव की कटाई का आदेश-विनोद चंद्राकर – हसदेव क्षेत्र में एक महिला की याद में पेड़ लगाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन इसके बावजूद वहाँ काटाई हो रही है। शनिवार को अडानी के खिलाफ युकां का मार्च – युकां क्षेत्र के लोगों ने शनिवार को अडानी समूह के खिलाफ मार्च निकाला। वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे।,