joharcg.com जिला मुख्यालय से लगभग 20 कि.मी. दूर बसे ग्राम मातला, जहां पहुंचने के लिए पगडंडी का सहारा लेना पड़ता है और पैदल 2 कि.मी. चलना होता है, अब हर-घर जल योजना से जलमग्न हो गया है। इस छोटे से गांव में 15 परिवार निवास करते हैं और लगभग 68 लोग जीवन यापन करते हैं।
पेयजल की समस्या से मिली राहत:
ग्राम के निवासी दूरगुम माडवी बताते हैं कि पहले गांव में केवल दो हैंडपंप थे, जहां से पीने का पानी मिलता था। इसके लिए उन्हें काफी दूर-दूर तक जाना पड़ता था और अन्य कार्यों के लिए नदी-नालों का सहारा लेना पड़ता था। जल जीवन मिशन की योजना ने उनकी इस समस्या को हल कर दिया है। अब उनके घरों में स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध है, जिससे उन्हें पानी के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती।
ग्रामवासियों का योगदान:
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि ग्राम मातला में जल जीवन मिशन के कार्यों को सफल बनाने में ग्रामवासियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। कोवासी सन्नू ने अपनी खुद की बाड़ी को नुकसान कर पाइपलाइन के लिए गड्ढे खोदने दिए, जिससे पूरे पारा में लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सका।
जल जीवन मिशन की उपलब्धियां:
बीजापुर विकास खंड के ग्राम पंचायत मिड़ते के आश्रित ग्राम मातला में जल जीवन मिशन के तहत 15 परिवारों को पेयजल सुविधा उपलब्ध हो गई है। 25 सितंबर 2024 को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने ग्राम सभा के माध्यम से हर-घर जल प्रमाणीकरण की घोषणा की। इस अवसर पर विभाग के उपअभियंता, कर्मचारी और ग्राम के सरपंच सुकलू वाचम, रंजीता कोवासी, सन्नू माडवी, दूरगम और गुटकी माडवी समेत अन्य ग्रामीण भी उपस्थित रहे।
ग्रामवासियों की खुशी:
जल जीवन मिशन की योजना के ग्राम तक पहुंचने से वहां के लोगों में खुशी की लहर है। अब उन्हें पीने के पानी के लिए दूर-दूर तक नहीं जाना पड़ता और न ही अन्य कार्यों के लिए नदी-नालों पर निर्भर रहना पड़ता है। स्वच्छ पेयजल घर में उपलब्ध होने से उनकी जिंदगी में एक नया उजाला आया है।
ग्राम मातला की यह कहानी बताती है कि सरकार की योजनाएं और ग्रामवासियों की मेहनत मिलकर कैसे एक गांव की तस्वीर बदल सकती हैं। जल जीवन मिशन ने न केवल उनके जीवन को आसान बनाया है, बल्कि एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत किया है।