joharcg.com गुजरात के कच्छ जिले में रविवार को एक हल्का भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 3.7 मापी गई। भूकंप के झटके स्थानीय समय के अनुसार सुबह 9:45 बजे महसूस किए गए, जिससे क्षेत्र के लोग घबराए हुए दिखे। हालांकि, अभी तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई है, लेकिन इस भूकंप के कारण क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, भूकंप का केंद्र कच्छ जिले के उत्तर-पश्चिमी इलाके में था। झटके महसूस होते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल आए, हालांकि राहत और बचाव कार्य के लिए टीमों को तुरंत तैनात कर दिया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि भूकंप का प्रभाव कच्छ के अलावा आसपास के क्षेत्रों में भी महसूस किया गया, लेकिन राहत कार्य शुरू होने के बाद स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया। स्थानीय प्रशासन ने कहा कि भूकंप के कारण किसी प्रकार की बड़ी क्षति नहीं हुई है और लोग सुरक्षित हैं।
भूकंप के बाद से लगातार स्थिति पर नजर रखी जा रही है और वैज्ञानिकों ने भी यह बताया है कि कच्छ क्षेत्र में हल्के भूकंप आना सामान्य घटना है, लेकिन ऐसी स्थिति में सतर्क रहना जरूरी है।
स्थानीय लोग अभी भी भूकंप के झटकों से सहमे हुए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति स्थिर है। अगले कुछ घंटों में और भूकंप के झटके महसूस हो सकते हैं, लेकिन इनका प्रभाव सामान्य रहने की संभावना है।
गुजरात। कच्छ में सोमवार की सुबह 3.7 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए। फिलहाल किसी के हताहत होने की कोई जानकारी नहीं है। यह झटका सुबह के 10.44 बजे महसूस किया गया था। जिले में इस महीने तीन की अधिक तीव्रता से यह दूसरी भूकंपीय झटका है। इससे पहले सात दिसंबर को जिले में 3.2 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
पिछले महीने 18 नवंबर को कच्छ में चार की तीव्रता से भूकंप आया था। इसके ठीक तीन दिन पहले 15 नवंबर को उत्तर गुजरात के पाटन में 4.2 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। बता दें कि गुजरात एक उच्च भूकंप जोखिम वाला क्षेत्र है। पिछले 200 वर्षों में इस राज्य ने नौ बड़े भूकंप के झटके झेले हैं। 26 जनवरी 2001 को कच्छ में आया भूकंप पिछले दो दशक में भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था।
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
जानें क्या है भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब?
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
कैसे मापा जाता है भूकंप की तिव्रता और क्या है मापने का पैमाना?
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।
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