joharcg.com देशभर में सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल ने सरकारी दफ्तरों में कामकाज को पूरी तरह से ठप कर दिया है। सरकारी कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कलमबंद और तालाबंद आंदोलन कर रहे हैं, जिससे सरकारी कार्यालयों में सामान्य कामकाज ठप हो गया है। जनता को इस हड़ताल के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि कर्मचारियों का कहना है कि वे अपनी मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रखेंगे।
सरकारी कर्मचारियों ने लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर यह हड़ताल शुरू की है। मुख्य मांगों में वेतन वृद्धि, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, भत्तों में सुधार और कामकाजी परिस्थितियों को बेहतर बनाने की मांगें शामिल हैं। कर्मचारियों का कहना है कि बार-बार सरकार से संवाद करने के बावजूद उनकी मांगों को अनदेखा किया गया, जिसके चलते उन्हें मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ा।
इस हड़ताल में विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारी शामिल हैं, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व, बिजली और अन्य सेवाएं शामिल हैं। इससे न सिर्फ सरकारी कार्यालयों में कामकाज ठप हुआ है, बल्कि जनता को भी जरूरी सेवाओं के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन ‘कलमबंद-तालाबंद’ आंदोलन के रूप में जारी है। इसका मतलब है कि सरकारी कर्मचारी न तो फाइलों पर साइन कर रहे हैं और न ही कार्यालयों के ताले खोल रहे हैं। इस आंदोलन ने सरकारी तंत्र की गति को पूरी तरह से रोक दिया है। कई जिलों में सरकारी दफ्तरों के बाहर ताले लटके हुए देखे जा सकते हैं, जबकि कर्मचारी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस हड़ताल का सीधा असर आम जनता पर पड़ा है। जिन लोगों को सरकारी कामकाज के लिए कार्यालयों में जाना था, उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। राशन कार्ड बनवाने से लेकर जन्म प्रमाण पत्र, बिजली बिल सुधार और भूमि संबंधी दस्तावेजों तक के काम रुक गए हैं। मरीजों को भी सरकारी अस्पतालों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अस्पतालों में स्टाफ की कमी हो गई है।
सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों से बातचीत करने का आश्वासन दिया है, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार का कहना है कि कर्मचारियों की कुछ मांगें जायज हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर फिलहाल विचार किया जा रहा है। सरकार ने कर्मचारियों से अपील की है कि वे हड़ताल खत्म कर काम पर लौटें और जनता की सेवा में लगें।
कर्मचारी यूनियनों ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की भी धमकी दे रहे हैं। इस बीच, जनता इस गतिरोध के कारण पिस रही है। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो स्थिति और भी खराब हो सकती है।
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वे अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर, सरकार भी राजकोषीय स्थिति और अन्य समस्याओं का हवाला देकर तुरंत सभी मांगें पूरी करने में असमर्थता जता रही है। अब यह देखना होगा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत का नतीजा क्या निकलता है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में अधिकारी और कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन पर हैं, जिसके चलते शुक्रवार को सभी सरकारी कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया। छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन द्वारा ‘कलमबंद-कामबंद, तालाबंद’ का आव्हान किया गया है, जिससे सरकारी सेवाओं पर व्यापक असर पड़ा है।
प्रमुख मांगों में मोदी गारंटी लागू करने पर जोर दिया जा रहा है। इस हड़ताल के कारण न केवल सरकारी कार्यालय, बल्कि स्कूलों में भी शिक्षक नदारद रहे, जिससे शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हुईं। फेडरेशन के बैनर तले यह चौथे चरण का आंदोलन है, जिसमें प्रदेशभर के 100 से ज्यादा विभागों के लगभग 4.75 लाख अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए हैं।
राजधानी रायपुर स्थित इंद्रावती भवन, जहां कई प्रमुख सरकारी विभागों के कार्यालय हैं, वहां भी कामकाज पूरी तरह से बंद है। पूरे भवन में सन्नाटा पसरा हुआ है, और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में ताले लटके हुए हैं। इस आंदोलन के तहत जिला और विकासखंड स्तर पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं। कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने की योजना बनाई है। राज्यव्यापी हड़ताल ने छत्तीसगढ़ में सरकारी सेवाओं को ठप कर दिया है, और आंदोलन के आगे बढ़ने के साथ ही सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।