joharcg.com भारत के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हाल ही में चार नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर एक नई राह चुनी है। इस घटनाक्रम ने न केवल सुरक्षा बलों के लिए राहत दी है, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो हिंसा और आतंक के रास्ते पर चले गए थे। इनमें से एक नक्सली को सरकार और समाज ने सम्मानित भी किया, जिससे यह संदेश गया कि हथियार छोड़कर मुख्यधारा में वापस आने वालों का स्वागत किया जाएगा।

हाल ही में हुए इस आत्मसमर्पण से यह स्पष्ट हो गया है कि नक्सलियों में से कई अब हिंसा के रास्ते को छोड़कर शांति और सामान्य जीवन की ओर लौटने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे पुनर्वास कार्यक्रम और आत्मसमर्पण नीति ने इन चार नक्सलियों को प्रभावित किया। ये नक्सली कई सालों से माओवादी संगठनों का हिस्सा थे और उन्होंने सुरक्षाबलों पर हमले और अन्य अपराधों में भाग लिया था।

इन चार नक्सलियों में से एक नक्सली, जिसका नाम अब सार्वजनिक नहीं किया गया है, को सरकार द्वारा विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस सम्मान का उद्देश्य यह था कि वह न केवल अपने साथियों के लिए प्रेरणा बने, बल्कि अन्य नक्सलियों को भी यह संदेश मिले कि यदि वे आत्मसमर्पण करते हैं, तो समाज और सरकार उन्हें नए सिरे से जीवन जीने का मौका देंगे। सम्मान के रूप में उसे पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया गया, जिसमें आर्थिक सहायता, नौकरी और शिक्षा की सुविधा शामिल थी।

पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए कई नीतियों को लागू किया है। इनमें पुनर्वास और आत्मसमर्पण के बाद रोजगार, सुरक्षा और आर्थिक सहायता जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इस नीति का उद्देश्य है कि नक्सली अपने हिंसात्मक जीवन को छोड़कर समाज में एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में वापस लौट सकें। इस नीति का असर अब दिखने लगा है, क्योंकि हर साल कई नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं।

यह घटना यह भी दर्शाती है कि स्थानीय समुदायों में अब नक्सलियों के प्रति समर्थन कम हो रहा है। लोगों का विश्वास अब सरकार और सुरक्षा बलों पर ज्यादा हो गया है, और वे चाहते हैं कि उनके क्षेत्र में शांति और विकास हो। इस आत्मसमर्पण के बाद, स्थानीय लोग भी इन्हें पुनः समाज में शामिल करने और इनके साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।

हालांकि नक्सलवाद की समस्या अभी भी गंभीर है, लेकिन ऐसे आत्मसमर्पण घटनाओं से यह संकेत मिलता है कि हिंसात्मक संगठनों के भीतर भी बदलाव की लहर आ रही है। सरकार और सुरक्षाबलों द्वारा अपनाई गई नीतियों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में धीरे-धीरे शांति स्थापित हो रही है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी एक नई दिशा प्रदान कर रहे हैं।

चार नक्सलियों का आत्मसमर्पण और एक का सम्मानित होना, यह दर्शाता है कि नक्सल समस्या का समाधान सिर्फ हिंसा से नहीं, बल्कि संवाद और पुनर्वास से भी संभव है। ऐसे प्रयास न केवल इन क्षेत्रों में शांति लाएंगे, बल्कि नक्सलियों को भी यह विश्वास दिलाएंगे कि यदि वे मुख्यधारा में लौटते हैं, तो उनके लिए एक उज्ज्वल भविष्य संभव है।

जोधपुर: राजस्थान के जोधपुर जिले में चल रहे सुरक्षा अभियान के दौरान 4 नक्सलियों ने अपनी बदलती सोच का परिचय देते हुए हथियार डाल दिए। इस कारवाई में एक इनामी नक्सली भी शामिल था। जोधपुर के सिंधारा गांव में रहने वाले इन नक्सलियों ने अपने जिंदगी का नया मोड़ लिया है। उन्होंने सुरक्षा बलों की ओर से चल रहे आतंकवाद के खिलाफ़ यह कदम उठाया है। इन नक्सलियों की सरेंडर ने लोगों में नयी आशा की किरण जगाई है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री एस्ट्राड्यावासी ने इन नक्सलियों को उनके परामर्श दिए और उन्हें समाज में समाहित होने के लिए समर्थन प्रदान करने का भरपूर आश्वासन दिया। इन सरेंडर्ड नक्सलियों के साथ एक इनामी नक्सली भी मौजूद था जिसने अपने क्रिमिनल गतिविधियों के कारण पुलिस के निशाने पर आने का फैसला किया। इन नक्सलियों की सरेंडर से हमारे सुरक्षा बलों को एक बड़ी जीत मिली है।

सरकार की वो योजनाएं और उपाय जो नक्सलियों को समर्थन प्रदान कर रहीं हैं, उन्हें अपनाकर नक्सलवाद के खिलाफ सामूहिक मुकाबला किया जा रहा है। इन नक्सलियों का सरेंडर एक नयी उम्मीद की किरण लेकर आया है। एक महिला और तीन पुरुष नक्सली जिंदगी के नए सफर की ओर अपना कदम बढ़ा रहे हैं। इन नक्सलियों के परिवार को भी सरकार द्वारा सहायता प्रदान करने की योजना है।

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