joharcg.com हाल ही में एक बड़ी डिजिटल ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें एक प्रोफेसर से 2 करोड़ रुपये की ठगी की गई है। यह मामला डिजिटल फ्रॉड के बढ़ते खतरे और साइबर अपराधों की गंभीरता को उजागर करता है। ठगों ने प्रोफेसर को निशाना बनाकर एक sofisticate धोखाधड़ी की योजना तैयार की और उसे अपनी ठगी का शिकार बना दिया।
घटना के अनुसार, ठगों ने प्रोफेसर को एक फर्जी निवेश योजना के तहत संपर्क किया। उन्होंने प्रोफेसर को एक लाभकारी डिजिटल निवेश का प्रस्ताव दिया, जिसमें उच्च रिटर्न का वादा किया गया था। प्रोफेसर ने इस प्रस्ताव को सही मानते हुए निवेश की प्रक्रिया शुरू की और धीरे-धीरे 2 करोड़ रुपये का भारी निवेश कर दिया।
ठगों ने प्रोफेसर को निवेश की पूरी प्रक्रिया को सही और सुरक्षित दिखाने के लिए नकली वेबसाइट्स, फर्जी दस्तावेज, और झूठे साक्षात्कार दिखाए। प्रोफेसर को विश्वास दिलाया गया कि उनका पैसा सुरक्षित है और उच्च लाभ की संभावना है। इस तरह, ठगों ने धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर धनराशि हड़प ली।
जब प्रोफेसर को कुछ दिनों बाद अपने निवेश पर कोई लाभ नहीं मिला और न ही ठगों से संपर्क हो पाया, तो उसने स्थिति की गंभीरता को समझा और मामले की जांच शुरू की। प्रोफेसर ने अपने बैंक से लेनदेन की जानकारी प्राप्त की और पाया कि उसने बड़ी रकम ठगों को ट्रांसफर की थी। इसके बाद, उसने तुरंत स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और साइबर क्राइम सेल से मदद मांगी।
घटना की सूचना मिलने के बाद, पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और ठगों की खोजबीन की। साइबर क्राइम एक्सपर्ट्स और जांच अधिकारियों की टीम ने ठगों की डिजिटल पहचान और ट्रैकिंग शुरू की। इस मामले में विशेषज्ञों ने डिजिटल साक्ष्यों की जांच की और फर्जी वेबसाइट्स और खातों की खोज की।
इस घटना ने डिजिटल ठगी की गंभीरता को उजागर किया है और यह सिखाता है कि ऑनलाइन निवेश और वित्तीय लेनदेन के दौरान सतर्कता कितनी महत्वपूर्ण है। सुरक्षा उपायों और पहचान की पुष्टि करने के लिए अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। विशेष रूप से, किसी भी वित्तीय लेनदेन से पहले पूरी तरह से जांच-पड़ताल करना और केवल मान्यता प्राप्त प्लेटफॉर्म्स का ही उपयोग करना चाहिए।
डिजिटल ठगी की इस घटना ने प्रोफेसर को न केवल वित्तीय नुकसान पहुंचाया है बल्कि एक महत्वपूर्ण सबक भी सिखाया है कि ऑनलाइन लेनदेन में सावधानी रखना अत्यंत आवश्यक है। प्रशासन और पुलिस द्वारा ठगों को पकड़ने की प्रक्रिया चल रही है और उम्मीद है कि जल्द ही न्याय सुनिश्चित होगा। इस घटना ने साइबर सुरक्षा की अहमियत को और भी अधिक स्पष्ट किया है और इसके प्रति लोगों को जागरूक रहने की आवश्यकता को दर्शाया है।
लखनऊ में पीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट करके उनसे 2 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की गई थी.इस मामले में पुलिस ने अब पांच अपराधियों को गिरफ्तार किया है. प्रोफेसर के मोबाइल पर किसी अज्ञात नंबर से कॉल आया था. कॉल रिसीव करने पर कॉलर ने खुद को सीबीआई मुंबई का अधिकारी बता कर बात की. उन्हें बताया गया कि आप पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस हुआ है.
इसमें अपके खाते का इस्तेमाल किया गया है. इस तरह की बातें बता कर उन्हें प्रभाव में लिया गया. इसके बाद पीजीआई प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर उनके बैंक खाते की सारी डिटेल प्राप्त कर ली गई थी और 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया था. अकाउंट में 2 करोड़ से अधिक रकम थी. सारे पैसे विभिन्न खातों में ट्रांसफर करा लिये गए थे.