Bilai mata dhamtari
Bilai mata माँ विंध्यवासी जिसे बिलाई माता,महीशासुर मर्दनी के नाम से भी जाना जाता है।मंदिर में माता की प्रतिमा लिंगाकार है व प्रतिमा स्वयंभू है। धमतरी को धर्म की नगरी भी कहा जाता है।, यह धमतरी अंचल की प्रमुख आराध्या देवी है।
स्थानीय निवासियों व मंदिर से कुछ प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले यह स्थान विरान घना जंगल हुआ करता था, जिसमें लोग लकड़ी,घास व जंगली-जानवर का शिकार करने के लिए आते थे, आस-पास अनेक वनवासी निवास करते थे, उसी समय पास के कुछ घसीयारे जंगल में घास काटने के लिए गये थे। माता उसी जंगल में गुप्त रूप से
श्याम वर्ण के शिला के रूप में विराजमान थी, घसीयारो ने झाडी के समीप एक शिला को देखा शिला के समीप कुछ बिल्लीयां बैठि थी घसीयारो की आहट पाकर बिल्लियां जोर-जोर से गुर्राने लगी, घसयारों के द्वारा उस बिल्लियों को वहां से भगा दिया गया और अज्ञात वश उस शिला पर अपने हसीये (घास काटाने का औजार) को उसमें रगड़कर हसियों धार किया माता के चमत्कार स्वरूप उन सभी घसीयारों ने मात्र कुछ समय में अत्यधिक घास काट लिया और उसे बेचने निकल गये, उन्हें बाकी दिनों की अपेक्षा अपने घास का अत्यधिक मूल्य प्राप्त हुआ, उसी रात को उन घसीयारों को माता ने स्वपन दिया और कहा, जिसे तुम साधारण पत्थर समझकर अपने हसीये पैनी किये थे, वह पत्थर कोई मामूली पत्थर नहीं स्वयं मैं विंध्यवासनी माता हूँ, सुबह होते की अपने सपने वाली बात वहां के राजा को बताया राजा ने इसकी सत्यता को जाना और उस स्थान पर एक छोटी मंदिर का निर्माण कराया तब से यह स्थान पूजा-अर्चन का प्रमुख केन्द्र बन गया।
विंध्यवासिनी माता का नाम बिलाई माता कैसे पड़ा:-
माता जिस स्थान पर गुप्त रूप से अधिष्ठापित थी, वहां पर सर्वप्रथम जंगली बिल्लियों ने माता के भव्य शिला रूप के दर्शन किये थे तथा उस शिला की रक्षा भी किया करते थे, जिस कारण माता का नाम बिलाई माता के नाम से प्रसिद्ध हुई।
माता की प्रतिमा मंदिर में तिरछी विद्यमान है, इस मंदिर का निर्माण हैहवंशी के गंग वंश के शासन काल में करवाया गया था।
यह मंदिर नगर के मध्य भाग के दक्षिण में महानदी के तट पर स्थित है, यहां पर नवरात्री पर्व का विशेष महत्व है। जिसमें दूर-दराज के भक्त माता के दर्शन को आते हैं तथा माता को श्रद्धा-सुमन समेत नौ दिनों का ज्योति प्रज्वलित करते हैं । पूरा मंदिर परिसर माता के जयकारो से गुंज उठता है।
माता अपनी सच्चे भक्तों की इच्छायें बड़ी ही आसानी से पूरी कर देती हैं व निसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति का वरदान देती है ।
यदि आप धमतरी बिलाई माता के दर्शन को आते हैं तो आपके समीक्ष कुछ दुरी पर माँ अंगार मोती के दर्शन कर पुण्य प्राप्त करना चाहिए तथा गंगरेल बांध के मनोरम दृश्य का लाभ उठाना चाहिए।