छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति

joharcg.com दिल्ली में छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति की अद्वितीय झलक देखने को मिली, जब राज्य के कलाकारों ने राजधानी में एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक नृत्य, संगीत और कला को प्रदर्शित किया गया, जिससे दिल्लीवासियों को राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से परिचित होने का मौका मिला।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक नृत्य जैसे ‘सुआ नृत्य’, ‘राउत नाच’, और ‘गौरों नृत्य’ का आकर्षक प्रदर्शन हुआ। इन नृत्यों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी लोक संगीत भी प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन ने दिल्ली में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता और लोक कला को प्रमोट करने का शानदार अवसर प्रदान किया।

दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य के सांस्कृतिक मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। मंत्री ने इस आयोजन को छत्तीसगढ़ की पहचान को राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह आयोजन हमारे राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को देशभर में पहचान दिलाने का एक प्रयास है।”

इस कार्यक्रम ने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक कला और संस्कृति को दिल्ली में नई पहचान दिलाई और राज्यवासियों को गर्व महसूस कराया। इसके साथ ही, कार्यक्रम ने दिल्ली के नागरिकों को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता और लोक जीवन से परिचित करने का अद्वितीय अवसर प्रदान किया।

रायपुर। देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति व कला के बड़ी संख्या में लोग साक्षी बने। मौका था 43वें भारत अंतरर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ राज्य दिवस  समारोह का, जहां एमफी थियेटर में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने मनोहर सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ राज्य दिवस समारोह का  शुभारंभ किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ पवेलियन में अलग-अलग स्टॉलों का भ्रमण कर कलाकारों को प्रोत्साहित किया।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने संबोधन में राज्य को “संभावनाओं की भूमि” बताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ अब “सशक्त भारत” के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि में नवाचार, और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई प्रभावी कदम उठाए गए हैं।  हमारा उद्देश्य राज्य को शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में अग्रणी बनाना है। छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक विकास के संयोजन के साथ एक वैश्विक पहचान बनाने के लिए तैयार है।

सांस्कृतिक संध्या में छत्तीसगढ़ से आये कलाकारों ने छत्तीसगढ़ में विभिन्न उत्सवों, तीज त्योहारों पर किए जाने वाले नृत्यों की प्रस्तुति दी। दर्शकों ने भरपूर तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। छत्तीसगढ़ी लोकमंच पर गौरा-गौरी, भोजली, राउत नाचा, सुआ, और पंथी जैसे पारंपरिक लोक नृत्यों की शानदार प्रस्तुतियां दी गई। नृत्य के माध्यम से कलाकारों ने छत्तीसगढ़ की लोक कला और सांस्कृतिक विविधता का जीवंत प्रस्तुतिकरण किया।

कलाकारों ने गौरा-गौरी और भोजली की धार्मिक परंपरा, सुआ नृत्य के भावपूर्ण गीत, और राउत नाचा के माध्यम से छत्तीसगढ़ की जीवंत लोक परंपराओं से दर्शकों को रूबरू कराया। इसके साथ ही पंथी और करमा नृत्य द्वारा आध्यात्मिकता और भक्ति भाव से दर्शकों को सराबोर कर दिया।

इस अवसर पर दिल्ली में पदस्थ छत्तीसगढ़ की इन्वेस्टमेंट कमिश्नर ऋतु सैन, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी, संस्कृति व राजभाषा विभाग के संचालक विवेक आचार्य, लघु वनोपज के महाप्रबंधक मणिवासन एस, सीएसआईडीसी के महाप्रबंधक विश्वेश कुमार, जनसंपर्क आयुक्त रवि मित्तल, आवासीय आयुक्त श्रुति सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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