joharcg.com छत्तीसगढ़ के विकास को एक नई दिशा देते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य के प्रथम “छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन” का भव्य शुभारंभ किया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, हर्बल उत्पादों के महत्व और राज्य की समृद्ध लोक कला को बढ़ावा देना था। हरित शिखर सम्मेलन ने न केवल पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि राज्य की पारंपरिक धरोहर और लोक संस्कृति के संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।

मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर राज्य के पारंपरिक हर्बल उत्पादों और उनके उपयोग का अवलोकन किया। छत्तीसगढ़ की हर्बल विरासत हमेशा से ही देशभर में अपनी प्राकृतिक गुणों के लिए प्रसिद्ध रही है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान हर्बल उत्पादों के विभिन्न स्टॉल्स का दौरा किया और स्थानीय उत्पादकों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि कैसे इन उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, और साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

सम्मेलन में विशेष रूप से छत्तीसगढ़ की लोक कला का भी प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री ने लोक कलाकारों द्वारा प्रदर्शित कलाकृतियों और प्रदर्शनों की सराहना की। उन्होंने कहा, “हमारी लोक कला हमारी सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है। यह सम्मेलन न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।” लोक कला को बढ़ावा देने से राज्य के कलाकारों को एक नई पहचान मिलेगी, और उनकी कला का प्रसार देश और दुनिया में होगा।

सम्मेलन के दौरान कई पर्यावरण विशेषज्ञ, उद्योगपति, और स्थानीय हितधारकों ने अपने विचार साझा किए। इस मंच पर पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं और पहलों पर भी चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए कई नई नीतियों पर काम कर रही है, जिनमें स्वच्छ ऊर्जा, वृक्षारोपण और हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देना प्रमुख हैं। उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध जैव विविधता और हर्बल संपदा राज्य को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अग्रणी बनाएगी।

सम्मेलन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लोगों को पर्यावरणीय जागरूकता के साथ जोड़ना था। मुख्यमंत्री साय ने बताया कि इन क्षेत्रों में हर्बल उत्पादों और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग सदियों से होता आ रहा है, और यह राज्य की विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिशा में राज्य सरकार इन समुदायों के साथ मिलकर काम करेगी, ताकि उनकी पारंपरिक ज्ञान और तकनीकें संरक्षित रहें और इन्हें आधुनिक बाजारों तक पहुंचाया जा सके।

छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का यह पहला संस्करण एक बड़ी सफलता साबित हुआ। इसमें राज्य की प्राकृतिक संपदा, हर्बल उत्पादों और लोक कला को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए गए। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की उपस्थिति और नेतृत्व ने इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया, और यह संदेश दिया कि छत्तीसगढ़ का भविष्य हरित, समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से संपन्न होगा।

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