joharcg.com छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री साय ने राज्य के कुंभकार समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 100 कुंभकारों को इलेक्ट्रॉनिक चाक वितरित किए। इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक कुम्हारी कला को प्रोत्साहन देना और कुंभकारों को आधुनिक तकनीक से सशक्त बनाना है। यह कार्यक्रम राजधानी रायपुर में आयोजित हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री ने खुद अपने हाथों से कुंभकारों को इलेक्ट्रॉनिक चाक सौंपे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर कहा, “हमारी सरकार का लक्ष्य है कि पारंपरिक हस्तशिल्प और कुम्हारी कला को संरक्षित करते हुए उसे आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ा जाए। इलेक्ट्रॉनिक चाक न केवल कुंभकारों के कार्य को सरल और तेज बनाएंगे, बल्कि उनकी उत्पादकता को भी बढ़ाएंगे।”

इलेक्ट्रॉनिक चाक की विशेषता यह है कि इससे कुंभकार कम समय में अधिक बर्तन बना सकते हैं, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी। इसके साथ ही, यह पर्यावरण के अनुकूल भी है क्योंकि इसमें कम ऊर्जा का उपयोग होता है। कार्यक्रम में शामिल कुंभकारों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे उनकी कला को नया जीवन मिला है।

उल्लेखनीय है कि माटी कला बोर्ड की ओर से कुम्भकार टेराकोटा योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक चाक कुम्भ शिल्पकारों को 22 हज़ार 2 सौ लागत के इलेक्ट्रॉनिक चाक कुंभकारों को निःशुल्क प्रदान किये जाते हैं।

एक कुंभकार, रामलाल ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “मैं पिछले 20 वर्षों से यह काम कर रहा हूं, लेकिन आज पहली बार मुझे ऐसा उपकरण मिला है जो मेरे काम को इतना आसान बना देगा। मैं मुख्यमंत्री जी का बहुत आभारी हूं।”

इस पहल के तहत, राज्य सरकार ने कुंभकारों को तकनीकी प्रशिक्षण भी प्रदान किया है ताकि वे इलेक्ट्रॉनिक चाक का सही और प्रभावी उपयोग कर सकें। प्रशिक्षण के दौरान, कुंभकारों को नए डिज़ाइनों और बाजार की मांग के अनुसार उत्पाद बनाने की जानकारी भी दी गई।

सरकार की इस योजना का उद्देश्य न केवल कुम्हारी कला को पुनर्जीवित करना है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी योगदान देना है। पारंपरिक हस्तशिल्प और कला वस्त्रों की मांग बढ़ रही है, और ऐसे में कुंभकारों को तकनीकी सहयोग प्रदान करना उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस पहल से कुंभकारों को अपनी कला को न केवल स्थानीय बाजारों में, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। राज्य सरकार का यह प्रयास निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री श्री साय ने आश्वासन दिया कि सरकार भविष्य में भी ऐसी योजनाओं को जारी रखेगी, जिससे हस्तशिल्प कलाकारों और कारीगरों को प्रोत्साहन मिले और वे अपनी कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकें।

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