Chhattisgarhi Muhavare aur Hindi arth
Chhattisgarhi Muhavare aur Hindi arth कुछ ऐसे मुहावरे जो छत्तीसगढ़ में बहुत प्रचलित है और जिससे लोगो को बहुत कुछ सीखने को मिलता है –
उखान के भारा बाँधना:-हानि पहुँचाना
जहाँ डौकी सियान, उँहा मरे बिहान
आगी म मूतना:-अन्याय करना
हगे के बेर गीत गाये:-थोड़ा संपन्न अथवा जानकार व्यक्ति का अहंकारी होना
कोरी खरिखा होना:-बहुसंख्यक होना
छानी म होरा भुँजना :- अत्याचार करना।
लाहो लेना – परेशान करना
अँइठ-अँइठ के रहना : मन मार के रहना। (मन मसोस कर रह जाना)
पइसा के लाचारी मा अपन बेटा ला नइ बचा सकिस। बपरा हा अँइठ-अँइठ के रहिगे।
अँगठा छापः अप्पड़। (निरक्षर)
रामदास हा अँगठा छाप हे ते का भइस, ओकर अनभो भारी हे।
अँगना मा फूलफूलना : घर मा लइका जनम धरना। ( घर में बच्चा पैदा होना)
बुढ़तकालमा बिरझू के अँगना मा फूल फूले हे तब परिवार मा खुसी तो छाबे करही।
अँगरा कस धधकना : मनमाने घुँसिया जाना। (तमतमा जाना)
खेलौना तो टूटे-फूटे के जिनिस आए। खेलत-खेलत लइका ले टूटगे। एमा अत्तेक घुँसियाए के का बात हे।
अँगरी चाँटना : खूब मिठाना। (अधिक स्वादिष्ट होना)
आज के साग हा अँगरी चाँटे के लइक मिठाए हे। नइ खाबे ते पछताबे।
अँचरा ढाँकना : सनमान करना (इज्जत करना)
बड़े घर के बहू मा एक ठन यहू बड़जन बात होथे के- नता देख के गरीब मन बर घलो अँचरा ढाँक लेथे। ए धरम ला हमन नइ निभा सकन।
अँचरा धरना : सहारा लेना। (सानिध्य प्राप्त करना)
बाप-मँहतारी के अँचरा धरके लइका हा बाढ़थे तब उँकर गुन हा कइसे नइ उतरही।
अँचरा मा गठियाना : याद रखना। (यथावत)
दाई-ददा के सिखौना गोठ हा लइका मन के भलई बर होथे, एकर सेती अँचरा मा गठिया के राखना चाही।
अँधरौटी छाना : नइ दिखना। ( न दिखना)
सियान-सामरत आदमी ला अँधरौटी छा जथे बेटा! अँधियार हो गेहे जा, तीहीं घर तक पहुँचा के आजा।
अंडा मा डंडा परना : मटियामेट करना। (सत्यानाश करना)
दिन भर के जाँगर पेरे ले पेट के पुरतिन पइसा सकलाथे, वहू ला मंद-मउँहा मा उड़ाबे तब घर के हालत तो अंडा मा डंडा परे कस हो जही।
अंतस फाटना : उचाट लागना। (दिलटूट जाना)
अंतस फाटे के बाद कहुँ सरग के सुख ला कुढ़ो देबे, तभो का काम के ? मन मा खुसी नइ रही तब।
अंधरा समझना : मुरुख समझना। (मूर्ख समझना)
अपन जइसे सबो ला अंधरा समझत हस तउने हा सबले बड़े अलहन आय।
अंधेर करना : अनियाँय करना। (अन्याय करना)
एक झन बेटा ए कहिके रामसिंग हा दुलार मा राखिस, ते ओकर बेटा हटोई हा उल्टा अंधेर करत हे। रद्दा रेंगत मनखे मन ला मार-पीट देंथे।
अई आना : जातरी आना। (विनाशकालनिकट आना)
तोर अई आ गेहे का रे बोधन, रटहामुहाँ मुनगा पेड़ के टिलिंग मा चघत हस।
अकास ले पतालनापना : अपन ताकत अउ पहुँच ले जादा बात करना। (अपनी शक्ति और सामर्थ्य से अधिक बातें करना)
अक्कलगवाँना : मति हर जाना। (बुद्धि काम न आना)
होनी के आघू काकरो बस नइ चलै बसंता, होनी हा जब होना रथे, तब बड़े-बड़े के अक्कलगवाँ जथे।
अक्कलचरे बर जाना : चेत नइ रहना। (ध्यान नहीं रहना)
इही अलहन झन होए कहिके घेरी-बेरी समझाएँव, तब तोर अक्कलकहाँ चरे बर गे रिहिस रे भोकवा, उही अलहन ला कर के आगेस।
अक्कललड़ाना : उपाय खोजना। (यथावत)
खेत मा कसनो करके पानी तो पल जाए, अइसे सोंच के अब्बड़ अक्कल लगाएँव फेर एको काम नइ अइस ।
अघा जाना : मन भर जाना। (तृप्त होना)
ये लइका ला खाए बर हदरत रथे अउ खाए ला देबे ताँहले एके कन मा अघा जथे ।
अटकर करना : अनमान लगाना। (अनुमान लगाना)
एसो के धान हा बढ़िया दिखत हे। अटकर कर तो रामपरसाद, कतका हो जही ।
अन-पानी छोंड़ना : मरे के लइक होना। (मरणासान्न होना)
चिंता बिमारी जब घेरथे तब कतको के अन-पानी छुट जथे।
अपन रद्दा रेंगना : अपन बुता ला चेत करना। (अपने कार्य पर ध्यान देना)
सुलीन लगा के जीना हे तब अपन रद्दा रेंग, नइ ते दुनियाँ तो मेकरा के झाला आए। भँवरी कस किंदरा दीही ।
अपने ला चलाना : अपनेच बात मनवाना। (अपनी ही बात मनवाना)
सबो के सुनना चाही, अपनेच ला चलाए ले बुता नइ बने ।
दाँत निपोरना – लज्जित होना।
वाक्य – स्कूल मे डांस ल देख के राकेश दाँत निपोरने लगा था।
तीन पांच करना – उठा-पटक करना,फरेब करना।
वाक्य – लोन ले के खातीर जोसिला हा बैंक वाला मन संग तीन पांच करन लागिस।
जुच्छा हाथ होना – विधवा होना।
वाक्य – जोवाना के पती ह मर गे त वो ह झुच्छा हाथ होंगे।
धकर-धकर होना – एकदम कमजोर होना।
वाक्य – स्वाइन फ्लू के कारण मोरो गी ह धकर-धकर करे बर धरत है।
धारे धारे बोहाना – विनाश होना।
वाक्य – वो ह धारे-धार बोहागे
ऐसी के तैसी करना- पूरी ताकत लगाना
गोल्लर कस किंजरना- इधर उधर घूमते रहना कुछ काम न करना
गाय के गोड़ म बछरू बाँधना:-नियंत्रण में रखना
डूमर कीरा होना:-सीमित दायरे में रहना
दउहा बुताना:-नाम मिट जाना
अरी के तेल बरी म निकालना:-अवसर का लाभ लेना
जिजोधन डारना:-विवाह करना
अलकरहा म घाव होना:– गुप्त बातों को बताने के लिए मज़बूर होना
तेली के घर तेल होथे त पहाड़ ल नई पोते
अकरस जोतना:-भविष्य में लाभ के लिए कार्य करना
ओसहा पानी:-दवायुक्त पेय पदार्थ
एक धान के कई चाऊर होना:-लाभ ही लाभ होना