joharcg.com छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का उपयोग करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान के तहत अब तक कई मामलों का खुलासा हुआ है, जिसमें फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी हासिल करने की बात सामने आई है।
इस अभियान के तहत, छत्तीसगढ़ के पांच शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया है। इन शिक्षकों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट के माध्यम से शिक्षक पद पर नियुक्ति प्राप्त की थी। जांच में यह पाया गया कि उनके सर्टिफिकेट्स में कई खामियां और अनियमितताएं थीं, जिसके चलते उन्हें नोटिस भेजा गया है। इन शिक्षकों से अब तक मिली जानकारी के आधार पर उनकी नौकरियों को लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी नौकरी पाने का यह मामला कोई नया नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इस तरह के मामलों में तेजी आई है। राज्य सरकार इस बढ़ते खतरे को देखते हुए गंभीरता से जांच कर रही है। सरकारी नौकरी में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। जांच में यह भी पाया गया है कि कुछ मामलों में तो फर्जी सर्टिफिकेट्स के आधार पर उच्च पदों पर भी नियुक्तियां की गई हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले को लेकर सख्त रुख अपनाया है। सरकार का कहना है कि दोषी पाए जाने पर इन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी पाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
इस मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है, जो सभी दस्तावेजों और सर्टिफिकेट्स की बारीकी से जांच कर रही है। जिन-जिन कर्मचारियों और अधिकारियों के सर्टिफिकेट में गड़बड़ी पाई गई है, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, ऐसे मामलों में शामिल एजेंसियों और व्यक्तियों पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जो फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करने और बेचने में लिप्त हैं।
छत्तीसगढ़ में फर्जी सर्टिफिकेट के माध्यम से नौकरी पाने का मामला गंभीर रूप ले चुका है। सरकार की इस सख्ती से उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह के मामलों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। सरकारी नौकरी में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना यह होगा कि जांच में और कितने मामलों का खुलासा होता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में फर्जी सर्टिफिकेट के जरिये नौकरी पाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की जांच तेज हो गई है। इसी सिलसिले में मुंगेली जिले के पांच शिक्षकों के खिलाफ भी फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट का प्रकरण सामने आया है। इस मामले में जांच के आदेश दिए गए थे और ताजा अपडेट के अनुसार, अब इन पांचों शिक्षकों को अपनी दिव्यांगता को प्रमाणित करने के लिए रायपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होना पड़ेगा।
मुंगेली के जिला शिक्षा अधिकारी ने पांचों शिक्षकों को पत्र लिखकर सूचित किया है कि उन्हें 27 अगस्त को रायपुर पहुंचकर डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में सुबह 8 बजे मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होना है। इनमे इनमें टेक सिंह राठौर व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बाघमार, लोरमी, नरहरि सिंह सहायक विज्ञान शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अखरार, लोरमी, रविन्द्र कुमार गुप्ता व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खपरीकला लोरमी, मनीष राजपूत शिक्षक शासकीय पूर्व माध्यमिक स्कूल लाखासार लोरमी शामिल हैं।
इन शिक्षकों को निर्धारित तिथि और समय पर रायपुर के मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित होना अनिवार्य है। यदि इनकी दिव्यांगता प्रमाणित नहीं होती है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
इस मामले ने राज्य में फर्जी सर्टिफिकेट के जरिये नौकरी हासिल करने के मामलों को उजागर किया है, और इससे सरकारी तंत्र में फर्जीवाड़े की संभावनाओं को लेकर चिंता बढ़ गई है। जांच के नतीजों पर सभी की नजरें टिकी हैं।