मंत्रिमंडल ने अगली पीढ़ी

joharcg.com भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को एक नई दिशा देने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (Next Generation Launch Vehicle, NGLV) के विकास की मंजूरी दे दी है। यह यान भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया जाएगा और देश के अंतरिक्ष मिशनों को और भी अधिक सटीकता और क्षमता प्रदान करेगा।

NGLV (अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान) एक अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान है, जो मौजूदा यानों से अधिक शक्तिशाली और कुशल होगा। यह यान भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षिप्त करने की क्षमता रखेगा और नए अंतरिक्ष मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ISRO इस यान को खासतौर से भविष्य की बढ़ती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विकसित कर रहा है

NGLV मौजूदा प्रक्षेपण यानों के मुकाबले तकनीकी रूप से अधिक उन्नत होगा। यह रीयूजेबल (दोबारा उपयोग किए जा सकने वाले) यान के रूप में भी विकसित किया जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष मिशनों की लागत में कमी आएगी। इसके जरिए भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में और भी अधिक आत्मनिर्भर बनेगा, साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करेगा।

इस प्रक्षेपण यान के विकास से भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने में मदद मिलेगी। मंत्रिमंडल की इस मंजूरी से भारत अब वैश्विक स्तर पर बड़े उपग्रहों और अंतरिक्ष मिशनों के लिए अपनी सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होगा। NGLV का विकास एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण और वाणिज्यिक अंतरिक्ष मिशनों को और बेहतर बनाना है।

भारत लंबे समय से अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रहा है। NGLV जैसी तकनीकी पहल से भारत न केवल अपने अंतरिक्ष अभियानों को सशक्त बना सकेगा बल्कि अन्य देशों के साथ सहयोग करके वैश्विक अंतरिक्ष मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।

NGLV का विकास भारत को बड़े और जटिल अंतरिक्ष मिशनों के लिए तैयार करेगा। चाहे वो चंद्रमा पर उपग्रह भेजना हो या फिर अन्य ग्रहों की खोज, यह यान इन सभी अभियानों को पूरा करने में सक्षम होगा। ISRO के वैज्ञानिकों ने इस प्रक्षेपण यान को लेकर अपने प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है, और इसे अगले कुछ सालों में पूरा करने की योजना है।

मंत्रिमंडल की इस मंजूरी के साथ, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नए और उत्साहजनक अध्याय की शुरुआत हो चुकी है, जो आने वाले दशकों में अंतरिक्ष में भारत की उपस्थिति को और भी सशक्त बनाएगा।

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) विकसित करने की मंजूरी दे दी है, जो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और संचालन तथा 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय चालक दल के उतरने की क्षमता विकसित करने की सरकार की कल्पना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

एनजीएलवी की एलवीएम3 की तुलना में 1.5 गुना लागत के साथ वर्तमान पेलोड क्षमता का 3 गुना होगी और इसकी पुन: उपयोगिता भी होगी जिसके परिणामस्वरूप अंतरिक्ष और मॉड्यूलर ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम तक कम लागत में पहुंच होगी। अमृत काल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लक्ष्यों के लिए उच्च पेलोड क्षमता और पुन: उपयोगिता वाले मानव रेटेड प्रक्षेपण वाहनों की एक नई पीढ़ी की आवश्यकता है। इसलिए, अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) का विकास किया गया है,

जिसे निम्न पृथ्वी कक्षा में अधिकतम 30 टन पेलोड क्षमता के लिए डिज़ाइन किया गया है वर्तमान में, भारत ने वर्तमान में प्रचालनरत पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलवीएम3 और एसएसएलवी प्रक्षेपण वाहनों के माध्यम से 10 टन तक के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा (एलईओ) और 4 टन तक के उपग्रहों को जियो-सिन्क्रोनस ट्रांसफर ऑरबिट (जीटीओ) में प्रक्षेपित करने के लिए अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है।

एनजीएलवी विकास परियोजना को भारतीय उद्योग की अधिकतम भागीदारी के साथ क्रियान्वित किया जाएगा, जिनसे अपेक्षा है कि वे शुरू में ही विनिर्माण क्षमता में निवेश करेंगे, जिससे विकास के बाद परिचालन चरण में निर्बाध परिवर्तन हो सके। एनजीएलवी का प्रदर्शन तीन विकास उड़ानों (डी1, डी2 और डी3) के साथ किया जाएगा, जिसका लक्ष्य विकास चरण को पूरा करने के लिए 96 महीने (8 वर्ष) का है।

स्वीकृत कुल निधि 8240.00 करोड़ रुपये है और इसमें विकास लागत, तीन विकासात्मक उड़ानें, आवश्यक सुविधा स्थापना, कार्यक्रम प्रबंधन और लॉन्च अभियान शामिल हैं।

स्वीकृत कुल निधि 8240.00 करोड़ रुपये है और इसमें विकास लागत, तीन विकासात्मक उड़ानें, आवश्यक सुविधा स्थापना, कार्यक्रम प्रबंधन और प्रक्षेपण अभियान शामिल हैं।

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