भारत वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी

joharcg.com भारत 2025 तक वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी क्रांति में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है। भारतीय सरकार और विभिन्न वैज्ञानिक संस्थान जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अनुसंधान, विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रहे हैं। इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों से भारत को जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता बनने की संभावना है।

भारत में जैव प्रौद्योगिकी का महत्व तेजी से बढ़ रहा है, खासकर कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, और औद्योगिक प्रक्रियाओं में। भारत के पास जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट शोध संस्थान, उच्च गुणवत्ता वाले मानव संसाधन और एक मजबूत उद्योग ढांचा है। इन सभी का संयोजन भारत को वैश्विक स्तर पर जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बना सकता है।

सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें निवेश को आकर्षित करना, अनुसंधान और विकास (R&D) के लिए वित्तीय सहायता, और उद्योग के साथ साझेदारी को बढ़ावा देना शामिल है। भारत के विभिन्न राज्य जैव प्रौद्योगिकी हब के रूप में उभर रहे हैं, जहां सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर इस क्षेत्र में नए शोध और उत्पादों के विकास पर काम कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने अनुसंधान और विकास प्रयासों को तेज करके वैश्विक स्वास्थ्य संकटों, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 2025 तक, भारत अपनी जैव प्रौद्योगिकी क्षमता को पूरी तरह से विकसित करने के लिए तैयार है, जिससे वैश्विक स्तर पर इसका प्रभाव बढ़ेगा।

इसके अलावा, भारत को जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों और सहयोग को बढ़ावा देने का भी लाभ मिलेगा, जो उसे वैश्विक स्तर पर अपने तकनीकी और वैज्ञानिक योगदान को मजबूत करने में मदद करेगा।

नई दिल्ली 2 जनवरी 2024। नए साल के पहले दिन आज केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, ने दूरदर्शन समाचार को एक विशेष साक्षात्कार दिया, जिसमें उन्होंने विश्वास जताया कि वर्ष 2025 में भारत वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और मोदी सरकार 3.0 द्वारा लाई गई देश की पहली जैव प्रौद्योगिकी नीति बीआईओ-ई3 ने इसके लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया है।

मंत्री महोदय ने जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण प्रगति तथा जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश के बढ़ते वैश्विक नेतृत्व पर प्रकाश डाला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दशक की प्रगति पर विचार करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के भविष्य में जैव प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, विशेषकर तब जब देश नवाचार, प्रौद्योगिकी-आधारित हस्तक्षेप और स्टार्टअप को अपनाना जारी रखे हुए है। डॉ. सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण ने लगातार नवाचार और तकनीकी उन्नति को प्राथमिकता दी है, जिससे भारत वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।” उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी चौथी औद्योगिक क्रांति में सबसे आगे रहने के लिए तैयार है, जिसमें भारत मुख्य भूमिका निभाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में शुरू की गई बीआईओ-ई3 (अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति पर प्रकाश डाला, जिसे हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व मंं केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। यह दूरदर्शी नीति भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, जो आने वाले वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार परिदृश्य और पर्यावरणीय स्थिरता को आकार देने की इसकी क्षमता को मजबूत करती है।

भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने असाधारण वृद्धि का अनुभव किया है, जो वर्ष 2014 में 10 बिलियन डॉलर के उद्योग से बढ़कर वर्ष 2024 में 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, और वर्ष 2030 तक 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। जैसा कि डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया, “भारत न केवल जैव प्रौद्योगिकी में अग्रणी है, बल्कि अब वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी प्रगति के केंद्र में है, जो नवाचार को बढ़ावा देगा, रोजगार पैदा करेगा और पर्यावरण प्रतिबद्धताओं को मजबूत करेगा।”

मंत्री महोदय ने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि भारत वर्तमान में वैश्विक वैक्सीन उत्पादन का 60 प्रतिशथ हिस्सा है और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर यूएसएफडीए-अनुमोदित विनिर्माण संयंत्रों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या वाला देश है। बायो-फार्मा, बायो-एग्री, बायो-इंडस्ट्रियल, बायो-एनर्जी, बायो-सर्विसेज और मेड-टेक जैसे क्षेत्रों में बढ़ते निवेश अवसरों के साथ, भारत जैव प्रौद्योगिकी में एक वैश्विक गुरु के रूप में उभर रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत में चल रही “जैव-क्रांति”की तुलना पश्चिम द्वारा संचालित आईटी क्रांति से की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश के समृद्ध प्राकृतिक और जैव विविधता संसाधन इसकी जैव प्रौद्योगिकी सफलता की कुंजी हैं। उन्होंने गैर-मानव दूध और अन्य टिकाऊ उत्पादों जैसे अभिनव समाधान बनाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने वाले भारतीय स्टार्टअप के प्रयासों की भी प्रशंसा की।

केंद्रीय मंत्री ने मिशन सुरक्षा पहल की शुरुआत को याद किया, जिसके कारण स्वदेशी डीएनए-आधारित टीके विकसित हुए और कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया गया। वर्ष 2024 में, भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने भी उल्लेखनीय उपलब्धियाँ देखी हैं, जैसे कि दुनिया की पहली एचपीवी वैक्सीन का विकास और स्वदेशी एंटीबायोटिक ‘नेफिथ्रोमाइसिन’ का सफल निर्माण, जो श्वसन रोगों के उपचार में प्रभावी साबित हुआ है। इसके अलावा, जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने हीमोफीलिया के लिए जीन थेरेपी प्रयोग को सफलतापूर्वक विकसित किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 14 संस्थानों के बीच सहयोग की भी सराहना की, जो पहले अलग-अलग काम करते थे, उन्होंने “संपूर्णविज्ञान, संपूर्ण सरकार और संपूर्ण राष्ट्र” दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने डीप सी मिशन जैसी चल रही पहलों पर प्रकाश डाला, जिसका प्रधानमंत्री मोदी ने कई मौकों पर जिक्र किया है। अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ), जिसे वर्ष 2024 में पारित किया गया था और निजी क्षेत्र से 60 प्रतिशत योगदान के साथ नवाचार को बढ़ावा देने के लिए तैयार है।

वर्ष 2024 में, भारत सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी में नवाचार को और तेज करने के लिए पहले ही 1000 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का नेतृत्व जैव प्रौद्योगिकी से आगे बढ़कर क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसे अन्य अत्याधुनिक क्षेत्रों तक फैला हुआ है, जहां भारत एक वैश्विक गुरु के रूप में उभरा है। उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण में हुई महत्वपूर्ण प्रगति की भी सराहना की, और बताया कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को अग्रणी स्थान दिलाने के व्यापक प्रयास के तहत जल्द ही एक भारतीय मूल के व्यक्ति को अमेरिकी अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने निष्कर्ष निकाला, “अतीत में, भारत अक्सर प्रौद्योगिकी और नवाचार के मामले में अन्य देशों से प्रेरणा लेता था। आज, समय बदल गया है। दूसरे देश अब मार्गदर्शन और प्रेरणा के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। भारत को इस क्षेत्र में अग्रणी होने पर गर्व है, खासकर क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में, जहां देश क्वांटम मिशन के साथ महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है।”

जैव प्रौद्योगिकी और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत की उल्लेखनीय प्रगति ने उसे वैश्विक मंच पर एक प्रमुख हिस्सेदारी के रूप में स्थापित कर दिया है, जो नवाचार, स्थिरता और आर्थिक विकास के भविष्य को आगे बढ़ा रहा है।

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