joharcg.com भारत में 9 सितंबर को एक विशेष अवसर मनाया जाएगा – बलराम जयंती और किसान दिवस। यह दिन दो महत्वपूर्ण घटनाओं को समर्पित है, जो भारतीय संस्कृति और कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में हम बलराम जयंती और किसान दिवस की महत्वपूर्णता, उनके आयोजन और उनके प्रभाव पर चर्चा करेंगे।
बलराम जयंती:
बलराम जयंती हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे बलराम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई और बलशाली योद्धा के रूप में प्रसिद्ध हैं। बलराम को कृषि, गौपालन और किसानों के रक्षक के रूप में पूजा जाता है। उनकी जयंती पर, भक्त विशेष पूजा-अर्चना, कथा-श्रवण और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। बलराम की पूजा कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में उनकी महत्ता को दर्शाती है, और इस दिन विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और उनके परिवारों के लिए धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
किसान दिवस:
किसान दिवस, बलराम जयंती के साथ मनाया जाता है, ताकि किसानों के योगदान और उनकी मेहनत को सराहा जा सके। यह दिन किसानों के प्रति सम्मान और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के लिए समर्पित है। किसान दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम और आयोजन किए जाते हैं, जो कृषि की उन्नति, किसानों की समस्याओं और उनके विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा इस दिन विशेष रूप से किसानों के लाभ के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों की घोषणाएं की जाती हैं।
समारोह और महत्व:
बलराम जयंती और किसान दिवस के अवसर पर, विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। मंदिरों और पूजा स्थलों पर विशेष पूजा और भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। किसानों के लिए विशेष सेमिनार, कार्यशालाएँ और सम्मान समारोह भी आयोजित किए जाएंगे, जिनमें उनकी समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की जाएगी।
यह दिन भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह किसानों की मेहनत और बलराम की शिक्षाओं को मान्यता देता है। यह अवसर हमें यह याद दिलाता है कि हमारे कृषि क्षेत्र की समृद्धि और किसानों की भलाई के लिए हमें निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।
कुल मिलाकर, 9 सितंबर को बलराम जयंती और किसान दिवस का आयोजन भारतीय संस्कृति और कृषि के महत्व को उजागर करता है और इस दिन को विशेष बनाने के लिए विभिन्न धार्मिक और सामाजिक गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी।
रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग, छत्तीसगढ़ शासन तथा भारतीय किसान संघ छत्तीसगढ़ प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में कृषि के देवता माने जाने वाले भगवान श्री बलराम जी की जयंती 9 सितम्बर, 2024 को भगवान श्री बलराम जयंती-किसान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। कृषि महाविद्यालय, रायपुर के कृषि मण्डपम में दोपहर 12 बजे आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय करेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी मंत्री रामविचार नेताम करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी होंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बृजमोहन अग्रवाल, सांसद, रायपुर, अनुज शर्मा, धरसींवा विधायक, मोतीलाल साहू, रायपुर ग्रामीण विधायक, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय डॉ. गिरीश चंदेल एवं भारतीय किसान संघ, छत्तीसगढ़ प्रान्त अध्यक्ष श्री सुरेश चन्द्रवंशी उपस्थित रहेंगे।
भगवान श्री बलराम जयंती-किसान दिवस के अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में ‘‘प्राकृतिक एवं गौ आधारित कृषि’’ विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी जिसमें प्राकृतिक एवं गौ आधारित कृषि पर विषय विशेषज्ञों द्वारा किसानों को ‘‘प्राकृतिक एवं गौ आधारित कृषि’’ की संकल्पना, इसकी प्रविधि एवं इससे प्राप्त लाभों से अवगत कराया जाएगा। इस राज्य स्तरीय कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से 2 हजार से अधिक किसान शामिल होंगे। इस दिन छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में संचालित 27 कृषि विज्ञान केन्द्रों में भी श्री बलराम जयंती-किसान दिवस समारोह का आयोजन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ही कृषि में गौ उत्पादों जैसे गोबर और गौमूत्र का प्रयोग होता रहा है। गौ आधारित खेती रसायन एवं कीटनाशक मुक्त कृषि वह पद्धति है, जिसमें परम्परागत तरीके से प्रकृति के नियमों का अनुसरण करते हुए देशी गाय आधारित खेती के सिद्धांत को अपनाकर खेती की जाती है। प्राकृतिक खेती से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और खेती की लागत कम हो जाती है।