भेड़ियों

joharcg.com एक छोटे से गांव में, जहां रात की नीरवता अक्सर सन्नाटे से भरी होती है, वहां इन दिनों एक अजीबोगरीब हलचल है। गांव के लोग अब रात में सोने के बजाय जागते हैं, उनके हाथों में लाठी-डंडे हैं और वे गांव की गलियों में घूमते हुए एक नई जिम्मेदारी निभा रहे हैं – अपने परिवारों और मवेशियों को आदमखोर भेड़ियों से बचाने की।

पिछले कुछ दिनों में, गांव में भेड़ियों का आतंक बढ़ गया है। ये भेड़िये न सिर्फ मवेशियों पर हमला कर रहे हैं, बल्कि इंसानों पर भी झपटने लगे हैं। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, इस तरह का खतरा पहले कभी नहीं देखा गया। उनके अनुभवों में भेड़ियों ने कभी भी इस तरह से हमला नहीं किया था। लेकिन अब, आदमखोर भेड़ियों का यह नया रुख गांववासियों के लिए चुनौती बन गया है।

गांव के लोग रात में पहरेदारी कर रहे हैं। यह पहरेदारी सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह गांववासियों की अपने जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के प्रति उनकी अडिग दृढ़ता को दर्शाती है। जहां दिन के समय में बच्चे स्कूल जाते हैं और महिलाएं घर के कामकाज में व्यस्त रहती हैं, वहीं रात के अंधेरे में पूरा गांव एकजुट होकर भेड़ियों से निपटने के लिए तैयार रहता है।

हर रात, जैसे ही सूरज ढलता है, गांव के लोग अपने घरों से बाहर निकलते हैं। उनके हाथों में लाठी-डंडे, मशालें और कभी-कभी बंदूकें भी होती हैं। ये लोग गांव की गलियों, खेतों और आसपास के जंगलों में पहरा देते हैं। भेड़ियों की हर हरकत पर उनकी नजर होती है। इस पहरेदारी के दौरान कई बार भेड़ियों के झुंड के साथ उनका सामना भी होता है, लेकिन गांववाले डटे रहते हैं।

एक ग्रामीण ने बताया, “हमने अपने पूर्वजों से सुना था कि भेड़ियों का सामना करने के लिए गांववालों को एकजुट होना पड़ता है। लेकिन हमने कभी सोचा नहीं था कि हमें भी ऐसा करना पड़ेगा। अब तो यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है।”

इस पूरी घटना ने गांववासियों को एक नई चुनौती दी है, लेकिन साथ ही उन्हें अपनी एकता और साहस पर गर्व भी महसूस हो रहा है। भले ही यह संघर्ष कठिन हो, लेकिन गांव के लोग अपनी जमीन, अपने मवेशियों और अपने परिवारों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

आदमखोर भेड़ियों से बचने के लिए की जा रही यह पहरेदारी सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि गांव के लोगों की जिजीविषा और संघर्ष की सच्ची मिसाल है।

उत्तर प्रदेश के बहराइच में प्रशासन ने 4 भेड़ियों को जरूर पकड़ लिया है, लेकिन अब भी 35 गांव के लोग खौफ में जी रहे हैं. अब तक 4 आदमखोर भेड़ियों को पकड़ा जा चुका है, जबकि अभी 2 और भेड़ियों को पकड़ा जाना बाकी है. हाल ही में एक महिला, एक बच्चे और बुजुर्ग पर हुए हमले ने ग्रामीणों को और डरा दिया है.

बहराइच के गांवों में आलम यह है कि ज्यादातर परिवारों का एक न एक सदस्य रात के समय जागकर अपना समय बिता रहा है. आम दिनों में जो लोग रात 8 या 9 बजे ही सो जाते हैं, वे अब 10-11 बजे भी जागते हुए नजर आ रहे हैं. भेड़ियों के डर से गांव के लोग हमेशा अपने पास लाठी-डंडे और रस्सी रख रहे हैं. दो भेड़ियों के अब भी पकड़े ना जाने के कारण लोग अपने बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए खुद डट गए हैं.

प्रशासन की टीम बहराइच के कछार इलाके में भी सर्च ऑपरेशन चला रही है. हरीबक्स पुरवा गांव के इलाके में चार पिंजरे, आठ थर्मोसेंसर कैमरे लगाए गए हैं. वहीं, थर्मल ड्रोन से निगरानी की जा रही है. 18 टीमें रात-दिन गश्त कर रही हैं. फिलहाल 50 से ज्यादा कर्मी पिंजरे और जाल लगाने का काम कर रहे हैं.

डॉक्टर्स की टीम ट्रेंकुलाइजर के जरिए भेड़िए को पकड़ने की कवायद में है. इस ऑपरेशन को प्रभागीय वनाधिकारी बाराबंकी आकाश दीप बघावन और प्रभागीय वनाधिकारी बहराइच लीड कर रहे हैं. पूरे इलाके की कॉम्बिंग के जरिए भेड़िए के मूवमेंट को ट्रैक किया जा रहा है.

7 साल के बच्चे पर किया था हमला
बता दें रविवार देर रात भेड़िये ने बहराइच के बरबीघा हरदी थाना क्षेत्र की रहने वाली कमला देवी को निशाना बनाया. इससे एक दिन पहले बहराइच में अपने मायके आई गुड़िया नाम की महिला के 7 साल के बच्चे पर रात 1:30 बजे भेड़िये ने हमला कर दिया था. जब बच्चे की मां ने शोर मचाया तो भेड़िया भाग गया. वहीं सुबह 4 बजे मैकुपुरवा में घर में सो रहे कुन्नु लाल पर भेड़िया ने हमला कर दिया था.

कोई बच्चा होता तो उठा ले जाता
कुन्नू लाल ने बताया था कि सुबह 4 बजे का समय था. मैं चारपाई पर बैठा था, तभी एकदम भेड़िया ने हमला कर दिया. वह चारपाई पर चढ़ गया और गले पर हमला किया. मेरी जगह कोई बच्चा होता तो उठा ले जाता. जब चिल्लाना शुरू किया, तब सभी लोग पहुंच गए, उसके बाद भेड़िया भाग गया. भेड़िए का मुंह लंबा था, काफी चुस्त और हेल्दी है. यह लंगड़ा वाला भेड़िया नहीं था. जैसे ही वन विभाग की टीम हटी, उसने हमला कर दिया.

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