Joharcg.com राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज कांकेर जिले से पदयात्रा करते आ रहे आदिवासियों के समूह से मिलने बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम पहुंची। यह आदिवासियों का प्रतिनिधिमण्डल करीब दो हजार की संख्या में थे, जो कांकेर जिले के बंडापाल, कोलर परगना, रावघाट क्षेत्र के 58 ग्राम और 14 ग्राम पंचायतों से आए थे। यह प्रतिनिधिमण्डल अपने 58 ग्राम को कांकेर जिले से हटाकर नारायणपुर जिले में शामिल कराने का आग्रह कर रहे थे। राज्यपाल ने उनकी मांगों पर जल्द कार्यवाही करने का आश्वासन दिया और बताया कि जब मुझे ज्ञात हुआ कि आप पैदल चलकर राजधानी पहुंच रहे हैं तो मैंने कांकेर जिला प्रशासन से बात की। उन्होंने मुझे पत्र के माध्यम से सूचना दी है कि इन गांवों को नारायणपुर जिले में शामिल कराने के लिए, संबंधित गांव के नक्शे संलग्न कर शासन को पत्र लिख दिया गया है। उन्होंने इस संबंध में शासन के उच्च अधिकारियों को जल्द कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। प्रतिनिधिमण्डल ने बताया कि उनके क्षेत्र से कांकेर जिला 150 किलोमीटर दूर पड़ता है, जिससे जिला मुख्यालय जाने में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वहीं नारायणपुर जिला 10 से 20 किलोमीटर पड़ता है और आने-जाने में आसानी होती है। इसलिए वे नारायणपुर जिला में शामिल होना चाहते हैं। 

राज्यपाल ने कहा कि जब से मैंने राज्यपाल का पद संभाला तो यह प्रयास किया कि जो राजभवन आए उनकी समस्याओं को सुनंू और उन्हें दूर करने का प्रयास करूं। इसके पूर्व भी बीजापुर के ग्रामीण अपनी समस्या लेकर आए थे तो मैंने बस्तर प्रवास के दौरान संभाग के अधिकारियों को उनकी समस्या के समाधान करने के निर्देश दिए थे। इसके पूर्व अति पिछड़ी जनजाति के लोग राजभवन आए थे और सरकारी पदों में भर्ती न होने की जानकारी दी थी। मैंने अधिकारियों को इस संबंध में तत्काल कार्यवाही करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के 13 जिले और पांच जिले आंशिक रूप से अनुसूचित क्षेत्रों में आते हैं। इन क्षेत्रों में आदिवासियों के हितों के संरक्षण का दायित्व राज्यपाल के ऊपर है। मैं इस नाते उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास करती रहती हूं। सुश्री उइके ने प्रतिनिधिमण्डल से आग्रह किया कि वे पैदल चल कर आए हैं, मगर मैंने जिला प्रशासन से बातकर वापस जाने के लिए बस और खाने-पीने का इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आदिवासियों से कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करने और टीका लगाने की भी अपील की। राज्यपाल ने आदिवासियों की समस्याएं सुनीं और उनके साथ लोक नृत्य भी किया और वाद्य यंत्र भी बजाया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव श्री अमृत कुमार खलखो तथा आदिवासी समाज के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे। 

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