Shiv Mandir Kirari Godi

Shiv Mandir Kirari Godi यह स्मारक एक छोटे नाला के किनारे किरारी गोढ़ी ग्राम में बिलासपुर से (व्हाया – बिलासपुर रेल्वे स्टे्शन) 30 किमी की दूरी पर स्थित है यह मंदिर कल्चुरी कालीन (लगभग 11-12वी शती ईसवी) शिव मंदिर है। इस मंदिर का जीर्णोधार कार्य कराया गया है तथा बिखरी हुई प्रतिमाओं को मंदिर परिषद में प्रदर्शित कर दिया गया है।

बिलासपुर के समीप किरारी गोढ़ी में प्राचीन मंदिर के पास पहुंचने पर मुझे बड़ी निराशा  हुयी। इसलिये क्योकि वहां मंदिर के नाम पर सिर्फ एक दिवार ही शेष बची थी। बाकि सब पहले ही नष्ट हो गया था। नाले के किनारे बना यह मंदिर पश्चिमाभिमुख है जिसमें मंदिर की सिर्फ पूर्वी दिवार ही शेष है।

किन्तु मंदिर की यह दिवार भी बेहद उच्चकोटि की कलात्मक प्रतिमाओं से सुसज्जित है। दिवार पर लगी प्रतिमाओं ने तो दिल जीत लिया। प्रतिमाओं को देखने से मन की निराशा थोड़ी दुर हुयी। 

मंदिर गर्भगृह अंतराल एवं मंडप में विभक्त है। गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है। यह मंदिर लगभग दो फीट उंची जगती पर बना है। मंदिर के अधिष्ठान में पुष्प, लतावल्लरी, गजलक्ष्मी , गजपंक्ति आदि आकृतियां बनी हुयी है। प्रतिमाओ में नटराज , सूर्य, हरिहरहिरण्यगर्भ, दिक्पाल, भारवाहक की प्रतिमायें बेहद ही कलात्मक एवं उच्च कोटि की शिल्पकला को प्रदर्शित करती है।

नटराज की प्रतिमा द्वादश भुजी नृत्यमुद्रा में प्रदर्शित है। प्रतिमा के दाये तरफ के छः हाथो में सिर्फ 5 हाथ ही शेष है जिसमें खेठक, अस्त्र, दंड, घ्यानमुद्रा एवं त्रिशुल पकड़े हुये है। बांये तरफ के सिर्फ दो ही हाथ शेष है जिसमें खप्पर एवं दंड पकड़े हुये है।

सिर पर जटामुकुट, माथे में नेत्र, मुंछे चढ़ी हुयी, कानो में कुंडल, गले में हार, मुडमाला, वक्षमाला, पैरों में सर्प का कड़ा प्रदर्शित है। हरिहरहिरण्यगर्भ की प्रतिमा षटभुजी है जिनके हाथो में त्रिशुल, कमलदल, शंख, सर्प एवं चक्र धारण किये हुये है। प्रतिमा के नीचे चौकी में छः घोडे़ एवं सारथी अरूण प्रदर्शित है।

मंदिर परिसर में ही अन्य भग्नावशेष एवं प्रतिमायें रखी गयी है। मंदिर के नाम पर सिर्फ एक दिवार ही शेष है। किन्तु उस दिवार पर जड़ी हुयी प्रतिमाओं को देखने से यह प्रतीत होता है कि पुरा मंदिर आकर्षक प्रतिमाओं से सुसज्जित रहा होगा।

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