Railway Station Bilaspur
Railway Station Bilaspur दुनिया मे पहली यात्री रेल चली सन 1825 में और भारत मे जिसकी शुरुआत हुई 1853 में, वहीं छत्तीसगढ़ में पहली रेल आई थी, राजनांदगांव में सन 1882 में।
“नागपुर छत्तीसगढ़ रेलवे” 1000mm meter gauge की लाइन, जिसका विस्तार नागपुर via तुमसार – गोंदिया होते हुए राजनांदगांव तक था। नागपुर से तुमसार की लाइन 6 जुलाई 1880 को शुरू हुई, और सारे स्टेशन जुड़ते हुए,16 फरवरी 1882 को राजनांदगांव तक लाइन पूरी की गई। इस तरह रायपुर और बिलासपुर से पहले प्रदेश के राजनांदगांव में रेलगाड़ी का आना हुआ। वही बिलासपुर और रायपुर रेल अस्तित्व में तब आये जब 1887 को “नागपुर छत्तीसगढ़ रेलवे” का अधिग्रहण “बंगाल नागपुर रेलवे” द्वारा किया गया।
“बंगाल नागपुर रेलवे” का विस्तार नागपुर महाराष्ट्र से आसनसोल बंगाल तक था, और इस रेलवे लाइन में छत्तीसगढ़ के दो महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन बने एक रायपुर और एक बिलासपुर। जब 1888 में नागपुर छत्तीसगढ़ रेलवे का संचालन बंगाल नागपुर रेलवे द्वारा लिया गया, तब 1000mm meter gauge लाइन को 1676mm broad gauge लाइन में भी बदला गया।
राजनांदगांव-रायपुर रेल खण्ड 04 दिसम्बर 1888, रायपुर-बिलासपुर रेल खण्ड 14 फरवरी 1889, और बिलासपुर-रायगढ़ रेल खण्ड 10 फरवरी 1890 को अस्तित्व में आये। वही नागपुर से आसनसोल की मुख्य लाइन 1 फरवरी 1891 को शुरू की गई।
भारत की आज़ादी के बाद 1955 में बंगाल नागपुर रेलवे से अलग होकर दक्षिण पूर्व रेलवे ज़ोन बना, जिसका मुख्यालय कलकत्ता में है, और अप्रैल 2003 में दक्षिण पूर्व रेलवे ज़ोन से दो नए रेलवे ज़ोन का गठन किया गया, जिनमे से एक है “दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे” जिसका मुख्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ में है।
रायपुर रेलवे, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ज़ोन में आता है। यह शहर मध्य भारत का एक महत्वपूर्ण शहर बना, और महत्वपूर्ण इसलिये क्योंकि यह रेल लाइन से जोड़ता है देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई को ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता से। भारत के कुछ ही रेलवे स्टेशन है जिन्हें भारतीय रेलवे द्वारा ग्रेड ‘A -1’ दिया गया है और उस लिस्ट में रायपुर रेलवे स्टेशन भी शामिल है, यही नही रायपुर रेलवे स्टेशन भारत में सबसे ज्यादा राजस्व कमाई वाले स्टेशनों में से एक है।
वहीं बिलासपुर ज़ोन देश में अधिक माल लोडिंग राजस्व इक्कठा करने वाली सूची में है। 2015-2016 के वित्तीय वर्ष में बिलासपुर ज़ोन रेलवे माल परिवहन का शानदार क्षेत्र बनकर सामने आया, इस वित्तीय वर्ष यहाँ से प्राप्त राजस्व देश के रेलवे ज़ोन में सबसे अधिक था। छत्तीसगढ़ मुख्यत: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत आता है और छत्तीसगढ़ में दक्षिण पूर्व मध्य रेल का प्रमुख मंडल बिलासपुर ही है। बिलासपुर मंडल के अंतर्गत 100 से अधिक रेलवे स्टेशन आते है। एशिया का मुख्य कोल फील्ड कोरबा-गेवरा, यहाँ रेल की पटरियां 1965 में पहुँच गई थी, बिलासपुर ज़ोन माल परिवहन में आगे रहा उसकी वजह कोरबा गेवरा रेल लाइन ही रही है।
भारत मे रेलवे नेटवर्क का जाल देश की तरक्की के साथ बढ़ता ही जा रहा है, देश मे अभी 121,407 किमी का रेल नेटवर्क है। हर वो जगज जहां दो मज़बूत कंधो की तरह रेल की पटरियां पहुची वहाँ विकास की दर बढ़ी है। लोहे के दो मज़बूत कंधो पर ही छत्तीसगढ़ के विकास का भार भी चढ़ा हुआ है जिसके बिना हम बहुत पीछे छुट जायेंगे। समय के साथ प्रदेश में रेल नेटवर्क और मजबूत होना चाहिए, सन 2001 में रहा 1168 किमीेे का रेल नेटवर्क 2016 तक केवल 44.91 किमी बढ़ोतरी के साथ 1212.91 किमी का हुआ, हालांकि प्रदेश में दो सालों में बड़ी बढ़ोतरी के साथ सन 2018 तक रेल नेटवर्क 520.09 किमी की बढ़ोतरी के साथ 1733 किमी का हुआ, पर अभी भी राज्य में रेल नेटवर्क और दुरुस्त करने की ज़रूरत है, राज्य के कई हिस्से है जहां अभी तक रेल की पटरियां नही पहुची है।