Pujari kanker
Pujari kanker बीजापुर जिला मुख्यालय से 72 किलोमीटर दूर तेलंगाना की सीमा पर स्थित पुजारी कांकेर गांव स्थित है। इस गांव में पांडवों की पूजा होती है। यहां पांचों पांडव भाईयों के लिए अलग- अलग पुजारी भी नियुक्त किए गए हैं। ग्रामीणों का मानना है कि गांव के पास स्थित विशाल पर्वत में पांडवों ने अपने अज्ञातवास में दंडकारण्य प्रवेश के दौरान कुछ समय गुजारा था। इसी वजह से पहाड़ का नाम पांडव पर्वत रखा गया है। पांडव इस पर्वत से होकर गुजरने वाली सुरंग से होकर भोपालपटनम के पास स्थित सकलनारायण गुफा से निकले थे, जहां वर्तमान में श्रीकृष्ण की मूर्ति है। पहाड़ के ऊपर एक मंदिर भी है। जहां कृष्ण की मूर्ति है वहां हर प्रत्येक वर्ष सकलनारायण मेला लगता है।
इस मंदिर के अलावा गांव वालों ने गांव की सरहद पर धर्मराज (युधिष्ठिर) मंदिर भी बना रखा है, जहां हर दो साल में एक बार मेला लगता है, जिसमें शामिल होने के लिए 25- 30 गांव के देवी- देवता पहुंचते हैं।
हर दो साल में धर्मराज मंदिर में मेला लगता है जहां आने वाले श्रद्धालु अपने कामना और मन्न्त के अनुसार बकरे और मुर्गो की बली चढ़ाते हैं। यह मेला अप्रैल माह में बुधवार के दिन ही आयोजित किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि पूजा पाठ और पुजारियों का गांव होने के कारण ही उनके गांव का नाम पुजारी कांकेर रखा गया है।