वित्तीय वर्ष 2019-20 में 386 बाल विवाह रोकने में मिली सफलता, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत की गई कार्यवाई
रायपुर – महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा लॉकडाउन अवधि में भी सक्रियता से कार्य करते हुए विगत दो माह में प्रदेश के 83 नाबालिग बालक-बालिकाओं को कम उम्र में विवाह से बचाया है। इसमेें सर्वाधिक 41 मामले बलौदाबाजार जिले से हैं। इसी तरह विगत वित्तीय वर्ष 2019-20 में महिला एवं बाल विकास विभाग ने 386 बाल विवाह रोकने में सफलता हासिल की है। इस टीम में विधिक सेवा प्राधिकरण, पुलिस सहित चाइल्ड लाइन के कर्मचारी शामिल रहते हैं। पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक व्यक्तियों की भी मदद ली जाती है।
हर जिले में वैवाहिक सीजन में महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम अधिक सक्रिय रहती है। इसके लिए समन्वित प्रयास और समाजिक सहयोग से बाल विवाह रोकने की तैयारी की जाती है। बाल विवाह की सूचना मिलने पर त्वरित कार्यवाही करते हुए परिजनों को समझाइश देकर बाल विवाह रोकने की कार्रवाई की जाती है। परिजनों द्वारा समझाइश न मानने या जबरदस्ती विवाह किये जाने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत आवश्यक कार्यवाई की जाती है। विगत वित्तीय वर्ष में बालोद जिले में 3, बलौदाबाजार में 22, बलरामपुर में 12, बस्तर में 3 बेमेतरा, दंतेवाड़ा और दुर्ग में एक-एक, बिलासपुर में 26, धमतरी में 7, गरियाबंद में 16, जांजगीर-चांपा में 35, जशपुर और कवर्धा में 9, कांकेर में 5, कोण्डागांव में 4, कोरबा में 31, कोरिया में 33, महासमुंद में 2, मुंगेली में 11, रायगढ़ में 6, रायपुर में 15, राजनांदगांव में 25, सूरजपुर में 55 और सरगुजा में 54 बाल विवाह के मामले सामने आए जिसे टीम ने रूकवाया।
ज्ञात हो कि बाल विवाह एक अपराध है। इससे बच्चों के अच्छा स्वाथ्य, पोषण व शिक्षा पाने और हिंसा, उत्पीड़न व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। निर्धारित उम्र से कम होने की स्थिति में विवाह करने पर पुलिस विभाग द्वारा अपराध पंजीबद्ध करते हुए विवाह कराने वाले माता-पिता, विवाह में सम्मिलित होने वाले रिश्तेदार और विवाह कराने वाले पंडित के विरूद्ध भी कार्यवाही की जाती है। अधिनियम के तहत 02 वर्ष का कठोर सश्रम कारावास तथा एक लाख रूपये के जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किये जाने का प्रावधान है। अधिनियम में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला अधिकारी को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी घोषित किया गया है। बाल विवाह की सूचना अनुविभागीय दंडाधिकारी, पुलिस थाने में, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सरपंच, कोटवार या महिला एवं बाल विकास विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी कर्मचारियों को दी जा सकती है।