रायपुर – खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसलों में मक्का एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है। इसके उत्पादन का 25 प्रतिशत मानव आहार के रूप में उपयोग किया जाता है। किसान मक्के की अधिकतम पैदावार के लिए शीघ्र पकने वाली किस्में, मध्यम अवधि और देर से पकने वाली उन्नत किस्म की बीज का उपयोग कर सकते हैं।
प्रदेश के कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग के कृषि वैज्ञानिकों ने खरीफ मौसम में किसानों को मक्के फसल की अच्छी खेती और भरपूर उत्पादन के लिए उपयोगी सलाह दी है। भूमि की तैयारी के लिए खेत को एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करने के बाद दो-तीन बार कल्टीवेटर से आडी-खाड़ी जुताई करके जमीन को भुरभुरी एवं महीन बना लें। पाटा चलाकर खेत को समतल बना लेना चाहिए इससे अच्छा अंकुरण होता है। बुवाई के 20 दिन पूर्व 20 से 25 गाड़ी या 10 से 12 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर मिलाएं।
मक्के की उन्नतशील किस्में के अंतर्गत शीघ्र्र अवधि वाली किस्म में प्रकाश, प्रो. एग्रो-4212, पूसा अर्ली मक्का 1, विवेक हाईब्रिड 9,ए विवेक हाईब्रिड 43, विवेक मक्का मेज हाईब्रिड 27, विवेक मक्का मेज हाईब्रिड 51, पी.एम.एच 5, मध्यम अवधि वाली किस्म में बायो 9637, डी.एच.एम. 117, के.एम.एच. 3712, मालवीय संकर मक्का 2, प्रताप मक्का 5, मालवीय हाईब्रिड मक्का 2। देर से पकने वाली किस्म में बायो 9681, सीडटेक 2324, 900-एम, गोल्ड, प्रो. 4640, एन.एम.एच 371 शामिल है। बीज की मात्रा एवं बीजोपचार के लिए बीज की मात्रा दानों के आकार, 100 दानों के वजन एवं बोनी की विधि पर निर्भर करती है। साधारणतया संकर प्रजातियांे का 15 से 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।
खरीफ मौसम की फसल की बुवाई जून के द्वितीय पखवाड़े से लेकर जुलाई के प्रथम पखवाड़े तक पूरी कर लेनी चाहिए। वर्षा आधारित द्विफसली खेती के लिए बुवाई जून माह में ही पूरी कर लेनी चाहिए।