रायपुर – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप महिला स्व-सहायता समूहों को स्वावलंबी और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से उन्हें आय मूलक गतिविधियों से जोडऩे का अभियान राज्य में तेजी से शुरू कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ शासन की नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी योजना ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो रही है। गांव में निर्मित गौठानों से जुड़कर महिला स्व-सहायता समूह आय उपार्जन की विभिन्न गतिविधियों का सफलतापूर्वक संचालन करने में कामयाब हो रही है, वहीं दूसरी ओर बाड़ी विकास कार्यक्रम भी महिलाओं के आय का बेहतर साधन साबित हो रहा है। बिलासपुर जिले के बिल्हा विकासखंड का ग्राम सेलर बाड़ी विकास कार्यक्रम को लेकर अपनी विशेष पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। यह गांव सब्जी उत्पादन का हब बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। यहां शासन के बाड़ी विकास कार्यक्रम के तहत 75 हेक्टेयर रकबे में सामूहिक बाड़ी की स्थापना का काम उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में शुरू किया जा चुका है, जहां स्व-सहायता समूह की महिलाएं फलोत्पादन के साथ-साथ सब्जियों की खेती करेंगी।
समूह ने उत्पादित सब्जियों की आपूर्ति बिल्हा विकासखण्ड स्थित स्कूलों के मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम सहित छात्रावासों और आश्रमों में उपयोग में लायी जाएगी। फलों और सब्जियों की मार्केटिंग का प्लान तैयार कर लिया गया है। बिल्हा विकासखण्ड के ग्राम सेलर के लगभग 75 हेक्टेयर भूमि में उद्यानिकी विभाग ने सामूहिक बाड़ी के विकास का कार्य डीएमएफ और मनरेगा से कराया जा रहा है।
संचालक उद्यानिकी माथेश्वरन वी. ने बीते दिनों ग्राम सेलर का दौरा कर बाड़ी विकास कार्यक्रम का जायजा लिया और विभागीय अधिकारियों को इस कार्य को तेजी से पूरा कराए जाने के निर्देश दिए। सेलर सामूहिक बाड़ी में फलोत्पादन और सब्जीत्पादन के लिए राष्ट्रीय आजीविका मिशन के 10 महिला समूहों का चयन किया गया है।
संचालक उद्यानिकी ने बताया कि बाड़ी में मिश्रित फलों का उद्यान और कृषि वानिकी पौधरोपण कराया जायेगा। बाड़ी में आम, अमरूद, नींबू, सीताफल और आलू, जिमीकंद, शकरकंद सहित विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती की जाएगी। बाड़ी में एग्रो फारेस्ट्री के तहत 25 हेक्टेयर में खम्हार, शीशम, मुनगा और 25 हेक्टेयर में आम कलमी, अमरूद, नींबू और सीताफल, कटहल का पौधा लगाने के साथ ही यहां बीज उत्पादन भी किया जायेगा।

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