रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए जिलों में क्वारेंटाइन सेंटर स्थापित किए गए है। जहां एक ओर कोविड 19 वैश्विक महामारी के दौर में बुरे अनुभव सामने आ रहे हैं वही दूसरी ओर खुशी है कि दंतेवाड़ा जिले के गीदम ब्लॉक के राउंजे क्वारेंटाइन सेंटर से क्वारेंटाइन सदस्य हंसते, खिलखिलाते नजर आ रहे हैं। क्वारेंटाइन सदस्यों की जानकारी लेकर उन्हें सोशल डिस्टेंस वाले खेल, मास्क लगाकर ड्रॉइंग करना, परिसर में अपने आसपास सफाई करना, अपने अच्छे अनुभव शेयर करना, परिसर के फूल पौधों की देखभाल करना आदि कार्यों में व्यस्त रखकर जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी संयम रखकर बुरे समय में आगे बढ़ना सिखाया जा रहा है।
दंतेवाड़ा जिला प्रशासन के अथक प्रयास से जिले के मजदूर तथा
विद्यार्थियों जो दूसरे जिलों में काम और पढ़ाई के सिलसिले में फंस गए थे,
उनको जिले में वापस लाकर क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है। साथ ही उनकी
उचित देखभाल भी की जा रही है। सभी का सघन स्वास्थ्य परीक्षण कर
क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है। अभी वे 14 दिनों तक वहीं रहेंगे, अपने
घर नहीं जा पाएंगे। ऐसी विषम परिस्थितियों में मानसिक संतुलन बनाए रखना
बेहद जरूरी है। इसी कड़ी में जिला प्रशासन तथा यूनिसेफ ने मिलकर
क्वारेंटाइन सदस्यों के मन में आशा की ऊर्जा भर रहें हैं । जिले की किरण
कश्यप ज्योति मरकाम और अन्य एग्रीकल्चर की पढ़ाई करने पेंड्रा गए हुए थे।
लॉक डाउन में फंसने के बाद जिला प्रशासन की मदद से वे अपने गृह जिला वापिस आ
पाए।
गीदम विकास खण्ड राउंजे क्वारेंटाइन सेंटर में आकर वे उदास थे और
उन्हें अपने परिवार की बहुत ही याद आ रही थी। ऐसे में सुश्री शिल्पी शुक्ला
जो यूनिसेफ प्रोजेक्ट की सहायक संस्था वसुधा विकास संस्था तथा कोविड-19
टास्क फोर्स की जिला समन्वयक हैं ने इनकी मनोदशा को समझकर इनके अंदर आशा और
खुशी जगाने के बारे में सोचा। यूनिसेफ के द्वारा क्वारेंटाइन सदस्यों के
मानसिक प्रगाढ़ता एवं जीवन में विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए
आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। क्वारेंटाइन सदस्य
जिसमे छात्र व मजदूर वर्ग के सभी उम्र के ग्रामीण है। जो अपने अनुभव,
आत्मबल व संयम के समायोजन का आपसी सहयोग कर कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदा से
लडने में बहुत ही महत्वूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।