पैरो में न पड़े छाले, इसलिए प्रवासी श्रमिक महिला पुरुष और बच्चों को पहना रहे है चरणपादुका
कबीरधाम जिले की सीमावर्ती बैरियर में श्रमिक पुरुष, महिला और बच्चों को दे रहे निःशुल्क चरण पादुका
जन सहयोग से श्रमिको की मदद के लिए जिला प्रशासन की अभिनव पहल
कबीरधाम जिले के कवर्धा-राजनांदगांव के मुख्यमार्ग पर स्थित नरोधी चेकपोस्ट पर जब प्रवासी श्रमिकों पुरूष, महिला और बच्चों के खाली पैरों पर जब चरण पादुका पहनाया गया तब खुशी से एक मां की ममता आंसू बन कर बहने लगा। अपनी जज्बातों को वह रोक नहीं पाई। उन्होने बताया कि वह रेल से लम्बी यात्रा कर छत्तीसगढ़ पहुंची है। बस के माध्यम से कबीरधाम जिले तक पहुंचाया गया। अपना घर लौट कर अब बहुत अच्छा लग रहा है।
कोरोना वायरस के लाकडाउन से उपजे विषम परिस्थितियों में मुख्यमंत्री श्री भूपेष बघेल के विशेष प्रयासों से सैकड़ों किलोमीटर दूर लम्बी यात्रा करने के बाद सकुशल घर लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों को यह सहसा अंदाज भी नहीं था कि उनके घर वापसी से पहले ही जिले की दहलीज पर उनके खली पैरों पर (चप्पल) चरण पादुका पहनाया जाएगा। ऐसा ही कुछ नजारा छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले मंे देखने को मिल रहा है। कबीरधाम जिले के प्रदेश के सीमा द्वार कहलाने वाली चिल्फी धवाईपानी, बैरियर तथा दशरंपुर, नरोधी और पोलमी बैरियर पर प्रवासी पुरूष, महिला और छोटे-छोटे बच्चों के खाली पैरों पर जिले में प्रवेश के साथ चरण पदुका पहनाया जा रहा है।
कवर्धा एसडीएम श्री विपुल गुप्ता ने बताया कि कवर्धा-बेमेतरा मार्ग के दशरंपुर बैरियर, राजनांदगांव मार्ग के नरोधी बैरियर पर 500-500 नग चप्पल श्रमिकों को निःशुल्क देने के लिए व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार राज्य के प्रवेश द्वारा चिल्फी धवाईपानी बैरियर पर भी श्रमिकों को चप्पल निशुल्क देने के लिए व्यवस्था बनाई गई है। कबीरधाम जिले में प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए सामाजिक संगठन आगे आ रहे है। जन सहयोग से श्रमिकों के लिए जिला प्रशासन द्वारा चरण पादुका निःशुल्क दिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के विशेष प्रयासों से कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए जारी लाकडाउन के बीच देश के अन्य राज्यों में फसे प्रवासी श्रमिकों की छत्तीसगढ. वापसी हो रही है। प्रवासी श्रमिक बड़ी संख्या में कबीरधाम जिले अपने गृह जिले पहुंच रहे है। प्रवासी श्रमिकों की जिले के सभी प्रवेश सीमा पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। इसके बाद सीधे संबधित ग्राम पंचायतों में बने क्वारेटाईन सेन्टर में बसो के माध्यम से पहुंचा जा रहा है। क्वारेटाईन सेंन्टर पर प्रवासी श्रमिकों को 14 दिनों अथवा चिकित्सा परामर्श के अनुसार और अधिक दिनों के ठहराया जाएगा। क्वारेटाईन सेन्टर पर श्रमिकों के लिए भोजन,पानी, सोने के लिए बेहतर प्रबंधन किए गए है। जिले में 1087 क्वारेटाईन सेन्टर बनाए गए है।