कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा और रायगढ़ जिले के वनमंडलों में 12 से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले हाथी ‘गणेश’ के गले में बांधी गई कॉलर आईडी जंगल में टूटी हुई मिली। जिसके बाद से वन अमले के हाथ पांव फूल गए हैं। लगभग 1 साल पहले गणेश के गले में वन विभाग ने इस कॉलर आईडी को इंस्टॉल किया था। कॉलर आईडी से जीपीएस के जरिए गणेश हाथी का लोकेशन वन विभाग को मिल जाता था, लेकिन अब कॉलर आईडी के टूटने से अब गणेश हाथी की निगरानी संभव नहीं होगी। इसके चलते जानमाल की सुरक्षा को लेकर वनविभाग की चिंता बढ़ गई हैं।
गणेश हाथी के गले में बांधी गई रेडियो कॉलर आईडी जंगल में बरामद हुई है। सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची। जिसके बाद दहशत के पर्याय बन चुके गणेश हाथी को ट्रेस करने का काम शुरू कर दिया गया है। गणेश की निगरानी से गायब होना वन विभाग के लिए एक बड़ी परेशानी का कारण बन गया है।
बीते साल झुंड से भटकने के बाद गणेश हाथी ने कोरबा और धर्मजयगढ़ वन
मंडल के 6 रेंज क्षेत्र के 40 से ज्यादा गांवों में जमकर उत्पात मचाया था।
इस दौरान गणेश ने कई लोगों को मौत के घाट भी उतारा था। विभागीय अनुमति
लेकर काफी जद्दोजहद के बाद किसी तरह गणेश को ट्रेंक्यूलाइडज करने के बाद
उसके गले में रेडियो कॉलर आईडी लगाई गई थी, लेकिन अब कॉलर आईडी टूटने से वन
विभाग की चिंता बढ़ गई है।
कॉलर आईडी की वजह से गणेश की लगातार निगरानी कर उसके लोकेशन के आधार
पर जहां वह विचरण कर रहा हो, वहां के स्थानीय ग्रामीणों को मुनादी के
माध्यम से सचेत किया जाता था, ताकि हाथी और मानव का सामना ना हो और जनहानि
की संभावना ना बने। गणेश ने कोरबा वन मंडल के कुदमुरा और करतला सहित कई
क्षेत्रों में जमकर उत्पात मचाया था। यहां उसने कई लोगों को मौत के घाट भी
उतारा है, इसलिए वन विभाग की नींद उड़ गई है।
पिछले साल बड़ी मशक्कत के बाद गणेश को धरमजयगढ़ रेंज के जंगल में ट्रेंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर आईडी लगाया गया था। यहीं से गणेश जंजीर तोड़कर वन विभाग के चंगुल से फरार हो गया था. तभी से लगातार रेडियो कॉलर आईडी के माध्यम से वन विभाग गणेश के लोकेशन की लगातार निगरानी कर रहा था। गणेश के स्वभाव का भी परीक्षण किया जा रहा था, ताकि गणेश के बारे में पूरी जानकारी हो सके।