राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु

joharcg.com राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के छत्तीसगढ़ आगमन पर अंबिकापुर में  जनजातीय गौरव दिवस पर आयोजित समारोह में राज्यपाल श्री रमेन डेका ने उन्हें भित्ती चित्र की पेंटिंग भेंट की। भित्ती कला चित्रकला का यह रूप है, जिसमें घर की दिवारों पर उभरी हुई आकर्षक आकृतियों का प्रदर्शन होता है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के छत्तीसगढ़ आगमन का स्वागत राज्य की गौरवशाली परंपराओं और संस्कृति के अनोखे संगम के साथ किया गया। राजभवन में आयोजित सौजन्य मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने राष्ट्रपति को छत्तीसगढ़ की पारंपरिक भित्ति चित्रकारी (Wall Painting) पर आधारित एक विशेष पेंटिंग भेंट कर उनका अभिनंदन किया।

यह पेंटिंग राज्य की समृद्ध लोक कला, जनजातीय जीवन शैली और प्रकृति से गहरे जुड़ाव को प्रदर्शित करती है। पेंटिंग में ग्रामीण परिवेश, वनों से जुड़ी जीव-जंतुओं की आकृतियां, जनजातीय नृत्य एवं स्थानीय परंपराओं की झलक कलात्मक ढंग से उकेरी गई थी। राज्यपाल ने बताया कि यह पेंटिंग स्थानीय कलाकारों द्वारा हाथ से तैयार की गई है, जो छत्तीसगढ़ी लोककला की आत्मा को अभिव्यक्त करती है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने इस भावपूर्ण और सृजनात्मक भेंट के लिए राज्यपाल तथा छत्तीसगढ़ की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत की विविधतापूर्ण लोक कला और आदिवासी संस्कृति हमारी असली ताकत है, जिसे संरक्षित और प्रोत्साहित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने राष्ट्रपति को छत्तीसगढ़ के विभिन्न जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक विशेषताओं, लोककला की परंपरा और महिलाओं की भूमिका से भी अवगत कराया। राष्ट्रपति ने विशेष रूप से जनजातीय महिलाओं द्वारा बनाई जाने वाली हस्तशिल्प वस्तुओं, मिट्टी की कला और पारंपरिक डिजाइनों की सराहना की।

कार्यक्रम के दौरान राजभवन परिसर में छत्तीसगढ़ी कला एवं हस्तशिल्प की एक संक्षिप्त प्रदर्शनी भी लगाई गई, जहां राज्य की विभिन्न लोककलाओं की झलक देखने को मिली। राष्ट्रपति ने इन कलाकृतियों को गौर से देखा और कलाकारों के प्रयासों की प्रशंसा की।

राष्ट्रपति मुर्मु के इस दौरे को राज्य की कला, संस्कृति और जनजातीय गौरव के सम्मान के रूप में देखा जा रहा है। भित्ति चित्रकारी की पेंटिंग भेंट करने का यह क्षण न केवल सौजन्य भेंट था, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्र के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक सम्मानपूर्वक पहुंचाने का प्रतीक भी बना।